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उर्जा के केंद्र

मंदिर उर्जा के केंद्र होते थे | अक्सर उनका निर्माण ऐसे स्थानों पर किया जाता था जहाँ ऐसा चुम्बकीय असर काफी ज्यादा हो |यहाँ तक की मंदिर के भीतर भी मूर्तियाँ ऐसे स्थान पर रखी जाती थीं जहाँ चुम्बकीय प्रभाव अधिक हो |ताम्बे का भी इसी मकसद से मंदिर के निर्माण में काफी इस्तेमाल किया जाता था | जो व्यक्ति मंदिर की मूर्ति की परिक्रमा करता था उसे ये सकरात्मक तरंगे एक नयी उर्जा प्रदान करती थी |मंदिर के शिक्रों से टकराकर ये तरंगे अक्सर व्यक्ति के ऊपर पड़ती थी और उसे असीम सुख का अनुभव कराती थीं |