पारंपरिक अन्धविश्वास
कई ऐसे अन्धविश्वास हैं जिन्होनें हमारे ज़हन में स्थान ग्रहण कर लिया है | लेकिन इन अंधविश्वासों का हिन्दू धर्म में कहीं ज़िक्र नहीं है |इनमें से कुछ अन्धविश्वास तो हिन्दू धर्म की ही किसी शाखा से उपजे हैं लेकिन बाकी सब लोक परम्पराओं के तहत प्रचलित हो गए हैं | निम्नलिखित अन्धविश्वास सिर्फ लोगों की धारणाएं हैं इनके पीछे कोई वैज्ञानिक सबूत नहीं है |
* आप बिल्ली के रास्ता काटने पर क्यों रुक जाते हैं?
* जाते समय अगर कोई पीछे से टोक दे तो आप क्यों चिढ़ जाते हैं?
* किसी दिन विशेष को बाल कटवाने या दाढ़ी बनवाने से परहेज क्यों करते हैं|
* क्या आपको लगता है कि घर या अपने अनुष्ठान के बाहर नींबू-मिर्च लगाने से बुरी नजर से बचाव होगा?
* कोई छींक दे तो आप अपना जाना रोक क्यों देते हैं?
* क्या किसी की छींक को अपने कार्य के लिए अशुभ मानते हैं?
* घर से बाहर निकलते वक्त अपना दायां पैर ही पहले क्यों बाहर निकालते हैं?
* जूते-चप्पल उल्टे हो जाए तो आप मानते हैं कि किसी से लड़ाई-झगड़ा हो सकता है?
* रात में किसी पेड़ के नीचे क्यों नहीं सोते?
* रात में बैंगन, दही और खट्टे पदार्थ क्यों नहीं खाते?
* रात में झाडू क्यों नहीं लगाते और झाड़ू को खड़ा क्यों नहीं रखते?
* अंजुली से या खड़े होकर जल नहीं पीना चाहिए।
* क्या बांस जलाने से वंश नष्ट होता है।