दानवराज विप्रचिति
ब्रह्मा ने इन्हें भी वरदान दिया था। दानवराज विप्रचिति या विप्रजिति कश्यप और दनु के 100 पुत्रों में से प्रमुख था। महाभारत में दनु के पुत्रों की संख्या 34 बताई गई है जिसमें इन्हें प्रमुख माना गया है। इसके भाइयों में ध्वज नामक दानव प्रमुख था। वृत्तासुर और इन्द्र से किए गए युद्ध में यह असुर पक्ष के साथ था। बलि, विरोचन एवं इन्द्र के युद्ध में भी यह शामिल था। वामन के द्वारा बलिबंधन के समय भी यह युद्ध करने के लिए तैयार हुआ था। अमृत मंथन (मत्स्य 245.31) के समय भी यह उपस्थित था।
अपनी सिंहिका नाम की पत्नी से इसे 101 पुत्र उत्पन्न हुए थे, जो सैहिकेय नाम से विख्यात हुए। राहु और केतु भी इसी के पुत्र थे। ये सभी सैहिकेय राक्षस बने थे। भागवत के अतिरिक्त मत्स्य, ब्रह्म आदि पुराणों में इसके पुत्रों की संख्या 13 बताई गई है। हरिवंश, विष्णु एवं ब्रह्मांड में 12 बताई गई है।