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अप्सरा साधना

हिन्दू शास्त्रों के मुताबिक अप्सरा देवलोक में रहने वालू अनुपम और बेहद सुन्दर दिव्य स्त्रियाँ हैं | सभी देवीय स्त्रियों में अप्सराओं को सबसे सुन्दर और शक्ति सम्पूर्ण माना जाता है |अप्सराएं गुलाब, चमेली, रजनीगंधा, हरसिंगार और रातरानी की गंध पसंद करती हैं | वे बेहद सुन्दर और १६-१७ साल की मानी जाती हैं | अप्सरा साधना करते समय मन को विचलित नहीं होने देना चाहिए नहीं तो साधना नष्ट हो जाती है | अगर साधना पूर्ण हो तो अप्सरा प्रकट होती है और उसे गुलाब के साथ इत्र भेंट किया जाता है | उसे दूध की मिठाई पान आदि दिया जाता ताकि वह जीवन भर साथ देने का वादा कर दे | 
 
 
 शास्त्रों के अनुसार देवराज इन्द्र के स्वर्ग में 11 अप्सराएं उनकी प्रमुख सेविका थीं। ये 11 अप्सराएं हैं- कृतस्थली, पुंजिकस्थला, मेनका, रम्भा, प्रम्लोचा, अनुम्लोचा, घृताची, वर्चा, उर्वशी, पूर्वचित्ति और तिलोत्तमा। इन सभी अप्सराओं की प्रधान अप्सरा रम्भा थी।