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मेड्कों की शादी

हमारे देश में मई और जून सबसे गरम महीने रहते हैं जब तापमान ४० से ४५ डिग्री तक रहता है | इस समय में लोगों को मानसून के आने की चाहत रहती है |पर मानसून कई बार आने में देरी कर देता है |

ऐसे समय पर मेड्कों की शादी की जाती है ताकि भगवान् आम इंसानों को बारिश का आशीर्वाद दें | मेड्कों की शादी इस बात का भी प्रतीक है की बारिश में मेढक बाहर आ कर भगवान् इंद्र का स्वागत करेंगे | 

 ये शादी इसलिए आयोजित की जाती हैं ताकि मेढक टरटर की आवाज़ करें जिससे इंद्र डेव के साथ बारिश भी धरती पर प्रकट हो | मेढक का टरटर करना बारिश के आने की निशानी है | इसलिए ये शादी बारिश करवा सकती है |