ब्लाउज़ (Hindi)
सआदत हसन मंटो
शकीला भरे भरे जिस्म की सेहतमंद लड़की थी। हाथ पाँव गुदगुदे थे। गोश्त भरी उँगलियों के आखिर में, हर जोड़ पर एक एक नन्हा गड्ढा था। जब मशीन चलाती थी तो ये नन्हे नन्हे गड्ढे, हाथ की हरकत से कभी गायब हो जाते थे। शकीला मशीन भी बड़ी इत्मीनान से चलाती थी। आहिस्ता आहिस्ता, उसकी दो या तीन उँगलियाँ, बड़ी खूबसूरती के साथ मशीन की हत्थी घुमाती थीं। कलाई में एक हल्का सा ज़ोर पैदा हो जाता था, गर्दन ज़रा उस तरफ़ को झुक जाती थी और बालों की एक लट, जिसे शायद अपने लिए कोई पर्याप्त जगह न मिलती थी, नीचे फिसल आती थी। शकीला अपने काम में इतनी मशगूल रहती थी कि उसे हटाने या जमाने की कोशिश ही नहीं करती थी।READ ON NEW WEBSITE