क्या खुब सुरत
क्या खुब सुरत अल्लानें तुज बनवाई ।
राम भजनबिना देखो यारो चूप खाली गमाई ॥१॥
औट हातका मानव देह अल्लानें तुज दिया ।
खाया पिया सुखसे सोया नाहक जमाना खोया ॥२॥
मेरा मेरा सबही मेरा जनम भार मिलाया ।
लख चौर्यांशी गिरकी म्याने येही फल पाया ॥३॥
कौन किसोका साथी यारो कौन किसोका सगा ।
अंतकालकी सूद रखना नहीं पावे दगा ॥४॥
कहत कबीर सुनो भाई साधु राम नाम सबसे मीठा ।
इदर उदर काहेकू देखे सबही बजार झूटा ॥५॥