माँ आया तेरे द्वार....
<p dir="ltr">हे धूमावती माता मेरी सुनलो पूकार।<br>
दर्शन करने आया हूँ तेरे द्वार।<br>
आया तेरे द्वार,माँ आया तेरे द्वार।<br>
हे धूमावती माता मेरी....</p>
<p dir="ltr">मैं तेरा बेटा तू मेरी माता,<br>
है अटूट माँ हमरा ये नाता।<br>
माँ मेरी विनती सुने तो मानू,<br>
माँ मेरी बिगड़ी बने तो मानू।<br>
माँ करो न थोड़ा दुलार,<br>
मैं आया तेरे द्वार।<br>
हे धूमावती माता मेरी....</p>
<p dir="ltr">माँ ये दूरी दूर भगा दे,<br>
मुझे आँचल मे छूपाले। <br>
नही चाहिए धन और दौलत,<br>
ना चाहिए मोटर कार।<br>
मैं आया तेरे द्वार।<br>
हे धूमावती माता मेरी....</p>
<p dir="ltr">तु ही सारे जग कि रचैया,<br>
पार लगाये तू सबकी नैया।<br>
बीच भंवर में नाव फसी माँ,<br>
करो न भव से पार,<br>
मैं आया तेरे द्वार।<br>
हे धूमावती माता मेरी....</p>
<p dir="ltr">जब आई माँ मेरी बारी,<br>
क्यों माँ तू ने आँख चूरायी।<br>
मत खेलो तुम आँखमिचौनी,<br>
अब करो माँ मेरा उद्धार।<br>
मैं आया तेरे द्वार।<br>
हे धूमावती माता मेरी....</p>
<p dir="ltr">मोह माया में भटक रहा हूँ,<br>
अन्धियारे में लटक रहा हूँ।<br>
वेद-मंत्र मैं कुछ ना जानू,<br>
मैं तो केवल तुझे पहचानू।<br>
माँ फसा हूँ बीच मझधार,<br>
मैं आया तेरे द्वार।<br>
हे धूमावती माता मेरी....</p>
<p dir="ltr">पापी हूँ माँ निर्बल अज्ञानी,<br>
महिमां तेरी एक न जानी।<br>
तू ही केवल एक सहारा,<br>
तेरे सिवा माँ कौन हमारा।<br>
विनती यही है बारम्बार,<br>
मैं आया तेरे द्वार।<br>
हे धूमावती माता मेरी....<br>
- गौतम गोविन्द</p>
दर्शन करने आया हूँ तेरे द्वार।<br>
आया तेरे द्वार,माँ आया तेरे द्वार।<br>
हे धूमावती माता मेरी....</p>
<p dir="ltr">मैं तेरा बेटा तू मेरी माता,<br>
है अटूट माँ हमरा ये नाता।<br>
माँ मेरी विनती सुने तो मानू,<br>
माँ मेरी बिगड़ी बने तो मानू।<br>
माँ करो न थोड़ा दुलार,<br>
मैं आया तेरे द्वार।<br>
हे धूमावती माता मेरी....</p>
<p dir="ltr">माँ ये दूरी दूर भगा दे,<br>
मुझे आँचल मे छूपाले। <br>
नही चाहिए धन और दौलत,<br>
ना चाहिए मोटर कार।<br>
मैं आया तेरे द्वार।<br>
हे धूमावती माता मेरी....</p>
<p dir="ltr">तु ही सारे जग कि रचैया,<br>
पार लगाये तू सबकी नैया।<br>
बीच भंवर में नाव फसी माँ,<br>
करो न भव से पार,<br>
मैं आया तेरे द्वार।<br>
हे धूमावती माता मेरी....</p>
<p dir="ltr">जब आई माँ मेरी बारी,<br>
क्यों माँ तू ने आँख चूरायी।<br>
मत खेलो तुम आँखमिचौनी,<br>
अब करो माँ मेरा उद्धार।<br>
मैं आया तेरे द्वार।<br>
हे धूमावती माता मेरी....</p>
<p dir="ltr">मोह माया में भटक रहा हूँ,<br>
अन्धियारे में लटक रहा हूँ।<br>
वेद-मंत्र मैं कुछ ना जानू,<br>
मैं तो केवल तुझे पहचानू।<br>
माँ फसा हूँ बीच मझधार,<br>
मैं आया तेरे द्वार।<br>
हे धूमावती माता मेरी....</p>
<p dir="ltr">पापी हूँ माँ निर्बल अज्ञानी,<br>
महिमां तेरी एक न जानी।<br>
तू ही केवल एक सहारा,<br>
तेरे सिवा माँ कौन हमारा।<br>
विनती यही है बारम्बार,<br>
मैं आया तेरे द्वार।<br>
हे धूमावती माता मेरी....<br>
- गौतम गोविन्द</p>