बनाऐ रख आत्मबल....
<p dir="ltr">बनना है कुछ तो, बनाए रख आत्मबल। <br>
डर मत किसी से, तू बस एक काम कर, <br>
बनाए रख आत्मबल, बनाए रख आत्मबल। <br>
कौन हरा सकता है तुझे, भला, <br>
गर खायी है, कसम मर मिटने का। <br>
वक्त भी देता, साथ उसका, <br>
जो ठान लिया कुछ कर दिखाने का। <br>
करना है कुछ, तो बस एक काम कर। <br>
बनाए रख आत्मबल, बनाए रख आत्मबल। <br>
सोने नहीं देती सपना, जिसे, <br>
उसे भला, क्या 'निशा' सुलाएगी। <br>
जो डटा है बनने को 'कुन्दन' <br>
'पावक' उसे, क्या जलाएगी। <br>
उठता रहा जो, खाकर बार-बार ठोकर, <br>
भर के 'जूनून' चला वही, मंजिल की राह पड़। <br>
बढना है गर तुझे, तो बढाए रख आत्मबल। <br>
बनाए रख आत्मबल, बनाए रख आत्मबल। <br>
ठोकरें है 'गुरूजी' तो दुनिया क्या सिखाएगा, <br>
उठा है 'धुआँ' राख से, वह आसमां तक, जाएगा। <br>
'मंजिल' है आसान, रख तू दिल में हौसला, <br>
भटक मत, डगर पे बस तू चलता जा। <br>
पाना है मंजिल तुझे, तू ' एक ' काम कर, <br>
बनाए रख आत्मबल, बनाए रख आत्मबल। <br>
बढता जा तू , 'अविचल' होकर, डरना नहीं 'तूफानों' से। <br>
भरे पड़े हैं "इतिहास के पन्नें", ऐसे "वीर-महानों" से। <br>
'है दम' तो बढ़के आगे, तू हुंकार भर, <br>
होगी तेरी "मुट्ठी में दुनियां" बस तु ये काम कर। <br>
बनाए रख "आत्मबल" बनाए रख "आत्मबल"। <br>
- गौतम गोविंद</p>
डर मत किसी से, तू बस एक काम कर, <br>
बनाए रख आत्मबल, बनाए रख आत्मबल। <br>
कौन हरा सकता है तुझे, भला, <br>
गर खायी है, कसम मर मिटने का। <br>
वक्त भी देता, साथ उसका, <br>
जो ठान लिया कुछ कर दिखाने का। <br>
करना है कुछ, तो बस एक काम कर। <br>
बनाए रख आत्मबल, बनाए रख आत्मबल। <br>
सोने नहीं देती सपना, जिसे, <br>
उसे भला, क्या 'निशा' सुलाएगी। <br>
जो डटा है बनने को 'कुन्दन' <br>
'पावक' उसे, क्या जलाएगी। <br>
उठता रहा जो, खाकर बार-बार ठोकर, <br>
भर के 'जूनून' चला वही, मंजिल की राह पड़। <br>
बढना है गर तुझे, तो बढाए रख आत्मबल। <br>
बनाए रख आत्मबल, बनाए रख आत्मबल। <br>
ठोकरें है 'गुरूजी' तो दुनिया क्या सिखाएगा, <br>
उठा है 'धुआँ' राख से, वह आसमां तक, जाएगा। <br>
'मंजिल' है आसान, रख तू दिल में हौसला, <br>
भटक मत, डगर पे बस तू चलता जा। <br>
पाना है मंजिल तुझे, तू ' एक ' काम कर, <br>
बनाए रख आत्मबल, बनाए रख आत्मबल। <br>
बढता जा तू , 'अविचल' होकर, डरना नहीं 'तूफानों' से। <br>
भरे पड़े हैं "इतिहास के पन्नें", ऐसे "वीर-महानों" से। <br>
'है दम' तो बढ़के आगे, तू हुंकार भर, <br>
होगी तेरी "मुट्ठी में दुनियां" बस तु ये काम कर। <br>
बनाए रख "आत्मबल" बनाए रख "आत्मबल"। <br>
- गौतम गोविंद</p>