आखरी सवाल
वाम पंथी शायद हिन्दुओं की अपनी सभ्यता को बचाने की इस कोशिश का मजाक बनायेंगे| आजकल के समाज में ईसाई और मुस्लिम किसी के भी धर्म पर बनी पिक्चर सफलता पूर्वक सिनेमा घरों में प्रदर्शित हुई है |जब नक्सलवादियों पर बनी पिक्चर “बुद्धा इन अ ट्रैफिक जेम” को इतने विरोध का सामना करना पड़ा तो ये सोचिये की इस फिल्म को हिन्दुओं द्वारा स्वीकारा जायेगा |क्या भारतीय कोर्ट ,सरकार ,सेंसर खिलजी या औरंगजेब की क्रूरता पर बनी फिल्म को प्रदर्शित होने देंगे | शायद नहीं तब सभी वामपंथी और उनके साथी विरोध करेंगे की इतिहास को बिगाड़ा गया है | तो फिर जब यही बात हिन्दू राजपूत बोल रहे हैं तो इतना विवाद क्यूँ ?