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सम्मोहन विद्या

सम्मोहन को हम अंग्रेजी में हिप्नोटिज्म कहते हैं। यह प्राचीनकालीन प्राण विद्या का एक अहम् हिस्सा है। सम्मोहन के बारे में हर कोई जानना चाहता है, लेकिन सही जानकारी न मिलने की वजह से  इसे समझ नहीं पाते हैं |
 
 
सम्मोहन विद्या को प्राचीन समय से 'प्राण विद्या' या 'त्रिकालविद्या' का  नाम भी दिया गया  है। सम्मोहन का अर्थ अक्सर वशीकरण से लगाया जाता है। वशीकरण अर्थात किसी को वश में करने की विद्या, ‍ज‍बकि यह सम्मोहन की प्रतिष्ठा को कम करने वाली बात है |मन के कई स्तर होते हैं। उनमें से एक है आदिम आत्म चेतन मन। आदिम आत्म चेतन मन न तो विचार करता है और न ही निर्णय लेता है। । यह मन हमें आने वाले खतरे या उन  खतरों से बचने के तरीके बताता है।यह मन हमेशा हमारी रक्षा करता रहता है। हमें होने वाली बीमारी की यह मन छह माह पूर्व ही सूचना दे देता है और यदि हम बीमार हैं तो यह हमें स्वस्थ रखने का प्रयास करता है। उक्त मन को साधना ही सम्मोहन है।
 
 सम्मोहन द्वारा हम मन की एकाग्रता, वाणी का प्रभाव व दृष्टि मात्र से अपने संकल्प को पूर्ण कर लेता है। इससे विचारों का आदान प्रदान  (टेलीपैथिक), दूसरे के मनोभावों को जानना , अदृश्य वस्तु या आत्मा को देखना और दूरस्थ दृश्यों को भी जाना जा सकता है।