लकड़ी पर दो बार खटखटाना – बुरे संयोग को पलटना
इस सबसे प्रचलित अन्धविश्वास में से एक का मूल उस समय से है जब कुछ संस्कृतियों में माना जाता था की भगवान पेड़ों में बसते हैं | जब भी किसी को भगवान् से कुछ मदद चाहिए होती थी वह हलके से पेड़ की छाल को छु देता था | एक बार उसकी इच्छा पूरी हो गयी वह एक और बार हलके से खटखटा कर अहसान प्रकट करता था | इस प्रथा की शुरुआत ईसाईयों से भी हो सकती है जो ऐसा कर येशु मसीह को अपनी अच्छी किस्मत के लिए शुक्रिया कहते थे | येशु मसीह की मौत लकड़ी के पार पर हुई थी |