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लेकिन जवाबों पर ध्यान दें | जागरूक होने की कसम आप दोनों खाएं | आप जानने के इक्छुक बन जायें (वह मीटिंग इतनी लम्बी क्यों चली ? इस काम को तुम और रोचक कैसे बना सकती हो? ) और इस तरह के विचरों के आदान प्रदान से आप अपने दिनचर्या और काम के बारे में और संजीदा हो पाते हैं | रिश्तों की विशेषज्ञ एस्थेर बोय्किन कहती हैं “ दिन के अंत में ये कहना बहुत आसान है , ‘पता नहीं दिन तो मेरा सही था पर फिर भी में थक गया’ पर “ अपने साथी के बारे में जागरूक होने से आपको भी सोचने का वक़्त मिलता है जिससे आपको आपस में जुड़ने में मदद मिलती है |