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ईश्वर एक (UNK)


Bijay Mehta
ईश्वर की एकता मुसलमान एक ही ईश्वर को मानते हैं, जिसे वो अल्लाह (फ़ारसी: ख़ुदा) कहते हैं। एकेश्वरवाद को अरबी में तौहीद कहते हैं, जो शब्द वाहिद से आता है जिसका अर्थ है एक। इस्लाम में इश्वर को मानव की समझ से ऊपर समझा जाता है। इस्लाम के पांच स्तंभों में से पहला स्तंभ है शहादत देना कि अल्लाह के सिवा और कोई माबूत नहीं और हम केवल अल्लाह ही को पूजते हैं। इस्लाम धर्म में अल्लाह को सबसे ऊपर माना जाता है। अल्लाह ही एकमात्र भगवान है कुरआन और हदीस में सख्त हिदायत दी गई है कि अल्लाह के अलावा किसी व्यक्ति, मूर्ति या तत्व की पूजा नहीं करनी है। डरना, फरियाद करना, मांगना सब अल्लाह के सामने ही करना चाहिए। वही सबसे बड़ा है। अपने गुनाहों की माफी मांगनी हो या अपने भले के लिए कुछ फरियाद हर चीज में सिर्फ अल्लाह को याद करना चाहिए।  साथ ही यह कहा गया है कि अल्लाह को यह बात कतई पसंद नहीं कि उसके बंदे उसके सिवा मज़ारों, दरगाह आदि पर जाकर किसी दूसरे के आगे हाथ फैलाए जो खुद अल्लाह के रहमों करम पर हैं।
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