कहानियां यूं ही जन्म नहीं लेती ~
कहानियां यूं ही जन्म नही लेती ,ना ही उनका आकार ऐसे ही साकार होता है । हर कहानी कुछ कहती है तो कुछ नया बुनती है ,कुछ बतलाती है तो कुछ सिखलाती भी है ।
आज मैं जो कहानी कहने जा रहा हूँ,उसमें भी आप सभी के लिए बहुत कुछ है । इस बहुत कुछ में शायद आप मनोरंजन ढूंढ सकते हैं,कोई प्रेरणा खोज सकते हैं । यदि कल्पनाशील है तो उस कहानी के नायिका पात्र की उमड़ती घुमड़ती छवि को स्वयं की ख्वाइशों में तलाश ही लेंगे , यदि यथार्थवादी है तो उसका अख्खड़पन भी स्वाभाविक इन मायनों में लगेगा कि उसका आज का समूचा व्यक्तित्व गवाही है उसकी संघर्ष यात्रा की । ये गवाही है इस बात की भी कि जिंदगी में कुछ हासिल कर लेने की जिजीविषा में इंसान बहुत कुछ छोड़ता जाता है । या यूँ कहे तो ज्यादा दुरुस्त होगा कि छूटता चला जाता है वो सब जिनके मायने भी हर इंसान के लिए बहुत कुछ होते हैं । फिर चाहे वो जिंदगी को खुलकर जीने के सबसे हसीन मौके हो या फिर जिंदगी को एक मुकम्मल जिंदगी बना सकने वाले कुछ खूबसूरत रिश्ते ।
आइये आज कहानी कहते हैं डॉक्टर साहिबां की , जिन्होंने तमाम जद्दोजहद के बीच संघर्षों से वो सब हासिल किया जिसका सपना हर एक आम हिंदुस्तानी देखता है ,पर जिसको हासिल करना और उस हासिल को एक लंबे समय तक कायम करके रखने का हौसला चंद मुट्ठी भर लोगो के हिस्से ही आता है । डॉक्टर साहिबां एक ऐसी है पर्ल ऑफ ओसियन की तरह है । जिनको वहां से समझने की जरूरत है जहां से किस तरह से एक लड़की की संघर्ष यात्रा शुरू होती है और कैसे वो तमाम दुश्वारियों के बीच भी अपना वजूद स्थापित करती है - -जारी ~