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भाग ९

भगवती कामन्दकी ने कहा, "अभी हमने आधा काम ही समाप्त किया है। अभी हमें मकरंद और मदयन्तिका का विवाह भी करना है।"

लवंगिका जल्दी ही उन्हें ले आई और भगवती ने उनका भी विवाह कर दिया,

तब वे बोलीं, “यह सब हमने गुप्त रूप से किया है। इन विवाहों का समाचार किसी तरह से भी यहां से बाहर नहीं जाना चाहिए। मालती तुम यहां से एकदम मेरे विहार के लिए रवाना हो जाओ। नदी के किनारे एक छोटे से मकान में तुम्हारे रहने का प्रबन्ध पहले से ही कर दिया गया है। तुम्हें बाहर लोगों के बीच में नहीं जाना चाहिए। सब प्रकार का सामान वहां पहुंचा दिया जाएगा। बाहर दो घोड़े खड़े तुम्हारी राह देख रहे हैं। अब तुम जाओ।"

माधव और मालती ने वैसा ही किया जैसा उन्हें समझाया गया था। उन्होंने नदी किनारे वाले मकान में अपना नया जीवन आरम्भ किया। मकरंद और मदयन्तिका अपने घरों में ऐसे रहते रहे मानो कुछ हुआ ही न हो। मालती के गायब हो जाने से शहर में बहुत शोर मचा। उसके माता- पिता और दूसरे सम्बन्धी भौचक्के-से रह गये। उसकी खोज करने में राजा ने कुछ न उठा रखा। भूरिवसु के कहने पर बहुत सारे सिपाही मन्दिरों पर निगरानी रखने के लिए नियुक्त कर दिये गये।

काली मन्दिर पर भी निगरानी के लिए सिपाही लगा दिये गये। लेकिन भूरिवसु को अपनी बेटी का कोई समाचार नहीं मिला। वह इतना निराश और दुःखी हो गया कि अपने जीवन का अन्त करने की बात सोचने लगा।

दिन बीतते गये और भूरिवसु अधिक उदास होता गया। उसने मन्दिर के नजदीक आग जलाने की आज्ञा दी जिससे वह उनमें कूदकर मर जाय। इसी बीच में पद्मावती राज्य में कुछ गड़बड़ी मच गयी। एक बहुत बड़ी वह उनमें कूदकर मर जाय। इसी बीच में पद्मावती राज्य में कुछ गड़बड़ी मच गयी। एक बहु शत्रु सेना ने देश पर आक्रमण कर दिया। राजा ने अपनी सेना को शत्रु से लड़ने का आदेश दिया। भगवती कामन्दकी ने सोचा कि यह अच्छा अवसर है।

 

माधव और मकरन्द को सेना में भरती होकर अपनी वीरता दिखानी चाहिए। उन्होंने दोनों से कहा कि वे हथियार लेकर जायें और सेना में भरती हो जायें। उन्होंने ऐसा ही किया। वे इतनी वीरता से लड़े कि शत्रु की सेना बुरी तरह से हार गई। माधव और मकरंद लौटे तो राजा उनके स्वागत के लिए आगे आये। पुस्तकालय इलाहाबाद उन्होंने उन्हें बधाई दी और माधव की प्रशंसा करते हुए उसके प्रति बहुत सम्मान प्रकट किया। तब माधव ने राजा को बताया कि वह विदर्भ राज्य के मन्त्री देवव्रत का बेटा है।

यह भी बताया कि वह मालती से प्रेम करता है। उसने यह भी बताया कि वही मालती को भगाकर ले गया था और भगवती कामन्दकी की सहायता से उससे विवाह कर लिया है। अब वे नदी के किनारे वाले मकान में रह रहे हैं। राजा ने भूरिवसु को बुलाकर माधव और मालती का समाचार उसे दिया और यह भी बताया कि इस तरह से दो विशष्ट परिवा आपस में जुड़ गये हैं। उन्होंने माधव को अपनी पत्नी को लाने के लिए कहा। माधव अपने घोड़े पर भागा-भागा मालती को लेने पहुंचा लेकिन वह घर पर नहीं थी।

तब इस आशा से वह भगवती कामन्दकी के यहां पहुंचा कि शायद मालती वहां हो।