कार्कोटक
दमयन्ती को छोड़ने के बाद नल बिना किसी उद्देश्य के जंगल में इधर- उधर घूमने लगा। वहीं पर उसने देखा कि कुछ दूर पर बड़े जोरों से आग जल रही है। उसे लगा कि आग के बीच में से उसे कोई आवाज़ लगा रहा है|
"नल, नल, जल्दी आकर मुझे बचाओ।" नल आग में घुस गया और उसने एक बहुत बड़े सांप को आग से घिरे पाया।
"मैं कार्कोटक हूँ,” साँप ने कहा, “साँपों का राजा। एक श्राप के कारण मैं यहाँ से तब तक हिल नहीं सकता जब तक कि तुम मुझे आग में से न निकालो। अब जब तुम यहाँ हो तो आग में से निकाल कर मेरा जीवन बचानो।"
नल ने उस बड़े साँप को उठाया। वह नल के छूते ही एकदम छोटा हो गया। नल उसे आग में से बाहर निकाल लाया।
साँप ने कहा, “तुम कदम गिनते आगे बढ़ो, मैं तुम्हारा कुछ भला करूंगा।"
नल ने एक दो तीन-गिनते हुए कदम आगे बढ़ाये और दस कहते ही साँप ने उसे काट लिया। तत्काल सुन्दर और नवयुवक राजा नल एक काले बदसूरत ठिगने आदमी में बदल गया।
"गुस्सा मत होना, नल,” कार्कोटक ने कहा, "तुम्हारे शरीर में मैंने किसी विशेष उद्देश्य से ही जहर डाला है। तुम्हारे भीतर के शैतान कलि के लिए अब वहाँ रहना दुखदायक हो जायेगा। जहर के कारण उसे बड़ी तकलीफ होगी। यहाँ से तुम अयोध्या जागो और राजा ऋतुपर्ण के यहाँ सारथी की नौकरी कर लो। राजा से तुम्हें सहायता मिलेगी। तुम तब तक अज्ञात रह सकते हो जब तक तुम स्वयं अपने वास्तविक रूप में न आना चाहो । जब तुम अपने असली रूप में आना चाहो तो मुझे याद करके यह कपड़ा पहिन लेना।” साँप नल को एक कपड़ा देकर वहाँ से लोप हो गया।
कार्कोटक के कहने के अनुसार, नल ने राजा ऋतुपर्ण के यहाँ वाहुक नाम से नौकरी कर ली। का मुख्य काम राजा के घोड़ों की देख-भाल करना था। लेकिन समय रहने पर वह इधर-उधर के दूसरे काम भी करता।
विदर्भ का राजा भीम नल और दमयन्ती के बारे में बहुत परेशान था। उसने अपने कई विश्वसनीय सेवकों को भिन्न-भिन्न दिशाओं में उन्हें खोजने के लिए भेजा । सुदेव नाम का एक ब्राह्मण चेदि राज्य की राजधानी में जा पहुंचा। वहाँ उसने दमयन्ती को राजकुमारी के साथ देखा । सुदेव दमयन्ती के पास पहुंचा और बताया कि वह कौन है और किसलिए आया है।
दमयन्ती प्रसन्न थी कि अब वह अपने पिता से मिल सकेगी। उसने सुदेव से पूछा कि क्या नल का कोई समाचार मिला है ? सुदेव ने बताया कि अभी तक तो कुछ पता नहीं लगा है। जब चेदि की रानी ने दमयन्ती को एक अनजान आदमी से मित्रतापूर्वक बात करते देखा|
वह सुदेव से बोली, “हे ब्राह्मण, ऐसा लगता है कि यह तुम्हें जानती है। यह किसकी पत्नी है ? कृपा कर के मुझे इसका सारा हाल बताओ।" सुदेव ने उसे नल और दमयन्ती तथा उनकी विपत्ति का हाल बताया और यह भी बताया कि वह महिला दमयन्ती-निषध की रानी है।