दिल ए सौदाई
स्कुल छुट गयीं. बच्चे स्कुलसें जातेंही सन्नाटा हो गया.एक चपरासी,प्रिन्सिपल और शर्माजी नये अध्यापकका इंतजार कर रहें थें.तभी उत्कर्ष अपनी फाइल्स लेके प्रिन्सिपल तिवारी के सामने खडा हो गया.
"गुड मॉर्निंग, सर"
"गुड मॉर्निंग"
"कहीए हम आपकी क्या सेवा कर सकते है?"
"सर हम आजसे इस सरकारी स्कूलमें जॉइन हो रहे है."
"अच्छा,हमेंभी आपकाही इंतजार था.ये लिजीए,यहाँपे साइन कीजीए."
"सर,यहाँपे लॉज कहाँ है?"
"अरे उत्कर्ष बाबू,लॉजमें कीतने दिन रहोगे?कीराएका मकान ले लो.शर्माजी आपका उपरका कमरा खाली है ना."
"बिलकुल सर,हमभी बहूत दिनोंसे अच्छे कीराएदारकी तलाश कर रहें थे.तो चलीए हमारे साथ महोदय."
"आपका बहूत बहूत धन्यवाद सर.आपनेतो इस अनजान शहरमें हमारी सारी मुश्कीलही आसान कर दी."
दोपहरको शर्माजी और उत्कर्ष घर पहुँचे तो शर्माजीकी बडी बेटी रोशनीने दरवाजा खोला.
"आइए बैठीए,रोशनी ये उत्कर्ष बाबू है.हमारे स्कूलमें टीचर है और आजसे हमारे कीराएदारभी.अभी खाना खाकरही उपर जाइए महोदय."
"जी,नहीं नहीं. क्यु आपको तकलीफ?हम बाहर हॉटेलमें खा लेंगे."
"हमारे पापाकी बात इस घरमें कोई टाल नहीं सकता,ये बात हमेशा ध्यानमें रखिए उत्कर्ष बाबू"
रोशनीके सामने उत्कर्ष कुछ बोलही नहीं पाया.खाना खानेके बाद रोशनीने खुद उत्कर्षको कमरा दिखाया.रोशनी उत्कर्षके सामने कुछ जादाही बात कर रहीं थी और उत्कर्ष सिर्फ उसे देखके मुस्कुरा रहाँ था.
"हो गया आपका?"
"क्या मतलब?"
"नहीं कुछ औरभी बताना बाकी है क्या?"
रोशनीको अपनी गलतीका एहसास हो गया और वो झटसे कमरेसे बाहर निकल गयी.एक अनजान लडकेसे इतनी बाते मै क्यु कर रहीं हुँ ये सोचकरतो रोशनीभी चहकने लगी.रोज सुबह शर्माजी और उत्कर्ष बाइकपे साथमेंही स्कूल जाते थे और साथमेंही आते थे.रोज शामको टहलने जाते थे.उत्कर्ष और रोशनीकी नजदीकीयाँभी बढ रहीं थी.रोशनी कभी खाना लेके तो कभी न्यूजपेपर लेके उत्कर्षके पास रहनेकी कोशिश करती थी.कीसीना कीसी बहानेसे दोनों एकदुसरेको देखते रहते थे और मिलनेका बहाना ढुँढते थे.कभी कभी बारीशभी हो जाती थी .और बारीशमें चुपकेसे दिलोंकी साजिशेंभी हो जाती थी.उत्कर्षभी शर्मा फँमिलीके लिए हमेशा तोहफे लेके आता था.
एक दिन रोशनी सहेलीका बहाना करके उत्कर्षके साथ बाइकपें शहरसे बाहर घुमने चली गयी.दोनोही शहरके बाहर एक खेतमें रूक गए.चारोतरफ सन्नाटा था.हवाये चल रहीं थी.रोशनीकी जुल्फे एक सेकंदभी एकजगह ठहर नहीं रहीं थी.आँखोसे मोहब्बत की महक छुप नहीं रहीं थी.
"यहाँ क्यु रूके?"
"यहाँ हमें कोई नहीं देखेगा.डर नहीं लगता."
"कीस बातका?"
"मेरे साथ,अकेलेमें"
"नहीं"
"इतना भरोसा है हमपे"
"खुदसेभी जादा.शादी कब करोगे?"
उत्कर्ष कुछ बोलही नहीं रहा था.सिर्फ मुस्कुरा रहाँ था.खाँमोशियाँ सब्रका इम्तिहान ले रहीं थी.
"लौटते है,देर हो जाएगी."
"जल्दीसे हाँथ माँगलो हमारा वरना जिंदगीभर रोते रहेंगे."
दोनोंही घर लौट आये.उनकी दोस्ती कब प्यारमें बदल गयी ,दोनोंको पताही नहीं चला.रोशनी एक बहुत अच्छी ड्रेस डीझायनर थी.उत्कर्ष उसे बडी बडी कंपनीयोंमें लेंके जाता था.फील्मलाईनके लोंगोके पास लेंके जाता था.कहीं बार अपमानभी हो जाता था.लेकीन उत्कर्ष कोशिश करना बंद नहीं करता था.कभीं कभी कुछ कामभी मिल जाता था.उस वक्त रोशनीके खुशीका ठीकाणा नहीं रहता था.रोशनीके हुनरको दुनिया जाने,उसे एक पहचान मिंले इसलिए उत्कर्षने कभीं कोई कमीं नहीं छोडी.ऑनलाइन भी रोशनीके डीझाईन कहीं जगह भेजें गए.
कुछही दिनोंमे दिवाली आयी.उत्कर्ष छुट्टीयोमें अपने गाँव लौट गया.उत्कर्षने एक खत भेजके शर्माजीसे रोशनीका रीश्ता माँगा.लेकीन खत पढतेंही शर्माजी तिलमिला उठे.अपनेही घरमें ये सब कैसे हो गया इस बातसे उनका दिल टुट गया.रोशनी बहूतही खुबसुरत थी.वेल एज्युकेटेड थी.शर्माजी अच्छाखासा दहेज देनेकी हैसीयतभी रखते थे.इसीलिए वो रोशनीके लिए उत्कर्षसे जादा कमानेवाला लडका ढुँढना चाहते थे.शर्माजीने फौरन रोशनीके लिए रीश्ते ढुँढना शुरु कर दिया.कुछहीं दिनोंमे कोलकाताके एक इंजिनिअर आदीत्यका रीश्ता आया.लडका पाँच सालोसें अमरीकामें था.रोशनीकोभी शादीके बाद वो अपनेसाथ अमरीका ले जानेवाला था.शर्माजीने फौरन शादीकी तयारीयाँ शुरू कर दी.बडी मुश्कीलसे रोशनी और उत्कर्ष एक दिन बाजारमें मिल पाए.उत्कर्षको देखतेही रोशनीने रोना शुरू कर दिया.
"रोना बंद करो पहीले."
"भागना चाहती हो हमारे साथ "
रोशनीका दिल भर आया था.मुँहसे आवाजही निकल नहीं रहीं थी.उसने सिर हीलाकरही नहीं जवाब दिया.
"भागतो सकते है लेकीन पापाकी इज्जत...और फीर सुहानाकीभी शादी करनी है."
"हम समझते है.आप बस जिंदगीभर मुस्कुराते रहीए.कभीभी जरूरत होना एक आवाज दिजीए.झटसे हजर हो जाएंगे.अभी जल्दीसे हमें बाय कहीए. वरना हम रो पडेंगे."
दोनोही नम आँखोसे घर लौट गए.आखिरकार रोशनीकी शादी अमरीकावाले आदीत्यके साथ हो गयी.कुछहीं दिनोंमे रोशनीभी अमरीका चली गयी.ससुरालवाले बहुत अमिर लोग थे.इसलिए रोशनीके मातापिता बहूत खुश थे की उन्हे अपने बेटीके लिए इतना अच्छा खानदान और दुल्हा मिला.मातापिता की खुशींयोमें रोशनीके जिंदगीके रंग बिखर गए.शादीके बाद रोशनीने आदीत्यके साथ इमानदारीसे रीश्ता निभाया.फीरभी आजभी जब वो तनहा होती है तो उत्कर्ष की याद उसे सताती है.जबभी आदीत्यके साथ उसकी कोइ अनबन होती है तो उत्कर्षका चेहरा उसके सामने आता है.रोशनीने आदीत्यके साथ बीवीका रीश्तातो निभाया लेकीन आजभी उसके दिलके किसी एक कोनेको आदीत्य छुँ नहीं पाया.
आदित्य के साथ अमरीका आतेही उत्कर्ष ने ऑनलाइन भेजे हुए डीझाइन्स एक कंपनीने पसंद कीए.उस कंपनीने रोशनीके कामको बहुत सराया. वो एक बहुत अच्छी ड्रेस डीझायनर थी.आज उत्कर्षकी वजहसे रोशनीको नाम और काम मिला.हींदुस्थानके उस गावमें शादीसे पहले उसकी कोई पहचान नहीं थी.कुछही दिनोंमे रोशनी एक सेलिब्रिटी बन गयी.हॉलीवूड और बॉलीवूड के कलाकार उसके कस्टमर बन गए.आदीत्यनेभी कॉर्पोरेट जगतमें अच्छा खासा नाम कमाया था.पर उसमें उत्कर्ष वाली बातें नहीं थी.छोटी छोटी बातोंका खयाल रखना,रोमँटिक गीत सुनाना,सरप्राईज देना,गिफ्ट्स देना,लंबी लंबी टुरपें जाना...बारबार तारीफ करना..और बहुत कुछ.आदीत्य तो कभीभी ऑफीस के अलावा और कुछ सोचताही नहीं था.वहीं उत्कर्ष हमेशा फील्मे देखना,हॉटेलमें खाना,नई नई जगहोंपें घुमना...इन्ही बातोंको तवज्जु देताँ था.
सब कुछ ठीकही था.लेकीन फीरभी उत्कर्ष की कमी रोशनीके दिलसे निकलहीं नहीं रहीं थी.संघर्षके वक्त जो इन्सान साथ था,अब वो ये सक्सेस शेअर करनेके लिए साथ नहीं. ये बात रोशनीको बहुत परेशान करती थी.रोशनी जबभी बाहर जाती लोग आदीत्यके साथ उसकी तसबीर खिंचते.तभी रोशनीको लगता ये हकतो उत्कर्षका है.
जबरदस्ती के शादीके बाद रोशनीने मायकेमें बात करना बंद कर दिया था.लेकीन आज उसने फीरभी मॉको फोन कीया.
"माँ,सब है .धन है,नाम है,ऐशोआराम है फीरभी मै खुष नहीं हुँ. मै क्या करू?कुछ समझमें नहीं आता.ख्वाब देखुँ तो क्या देखुँ?भुली बिसरी याँदे जो हरवक्त सताती है,उनका क्याँ करू?ये आप लोंगोने मेरे साथ क्या कर दियाँ.आदित्य कभीभी उत्कर्ष की जगह नहीं ले पाएगा.कुछ पलोंकी नजदीकीयाँ जिंदगीभरकी दुरीयाँ इन्सानको तोंहफेमें दे जातीं है.मगर ये सब बातें आप नहीं समझोंगी.क्योंकी इश्क का रंग तो आपपे कभीं चढाँही नहीं.आप सब तो ठीक है ना.समाजमें आपको बहुत मानसन्मान मिलता होगा.भगवान आपको हमेशा युँही खुष रखे."
"इतने दिनोंबाद फोन कीया और क्या बात कर रहीं हो..",सामनेसे रोशनीने फोन काट दिया.
रोशनी अपार्टटमेंटके टेरेसपें गयी और छतसें कुदकर जाँन दे दी.रोशनीके आत्महत्यासे सबसे जादा तकलीफ तो उत्कर्षकोही हुई.
"काश मैँ उसे भगाकर ले जाता...आज वो मेरे साथ होती.रोशनी खुदके साथ तुम मेराभी वजुद मिटा गयी."उत्कर्ष खबर सुनके रोते जा रहाँ था.
अर्चना पाटील ,
अमळनेर