संभालिए दिल को
"कैवल्य, सुनिए तो जरा...कैवल्य...",आरोही कैवल्यके पिछे उसका नाम लेते हुए भाग रही थी.
"क्या है,क्यु मुझे परेशान कर रही हो.जहा हरकते करनी चाहीए वहाँ तो तुम सतिसावित्री बन जाती हो.तुम्हारी सिर्फ बाते मिठी होती है मेरी जान."
"ऐसी बात क्यु कर रहे हो?अगर तुम्हारे हाथमें हाथ देतेवक्त मुझे हीचकीचाहट होती है तो मै क्या करू?"
"अच्छा, फोनपें तो मिठीमिठी बाते करती हो तुम.आज तो आप हीरो लग रहे है,आपकी पर्सलँनिटी बहुत अच्छी है,आय लाईक यु,दिल करता है की आपको बस देखते ही जाँऊ और नशेके घोट पितेही जाँऊ.और जब मै तुम्हारे करीब आनेकी कोशिश करता हुँ तो तुम्हारी इज्जत पे दाग लग जाता है"
"वैसी बात नहीं है,लेकीन हम दोनो शादीशुदा है इस बातका तो खयाल रखना पडता है ना."
"इसमें क्या गलत है,तुम मुझे अच्छी लगती हो और मै तुम्हारे मनको भाँता हुँ.इसीलिए हम दोनो एकदुसरेके साथ वक्त बिताते है.लेकीन साथमेंही हम अपना पारीवारीक कर्तव्यभी निंभा रहे है.तुम्हारेभी दो छोटे बच्चे है और मेरीभी दो संतान है.हम एकदुसरेको पसंद करते है लेकीन इसलिए हम परीवारको तो छोड नहीं रहे है ना.दिल तो आखिर दिल है कीसीपेभी आ जाता है.इसलिए जादा सोचसोचकर परेशान नहीं होना चाहीए माय स्वीट बेबी."
"फीर भी...आप मेरा कीतनाभी ब्रेनवॉश कीजीए मै मेरे पति नमितको कभीभी धोका नहीं दे सकती."
"फीर वहीं बात...मै घर जाँ रहा हुँ.तुम्हे तुम्हारी शादीशुदा जिंदगी मुबारक"
अगले दिन आरोही लोकल ट्रेनमें कैवल्यके बाजूमेंही जा बैठी."
"ओ माय गॉड,सुरज कीस दिशांसे निकल रहा है आज?मेरे करीब और वोभी मुझे चिपककर बैठी हो.सारी दुनिया देख रहीं है.औरफीर लोग क्या कहेंगे.सोच लो."
"बस कीजीए.इतना भी मत चिढाईए."
"फीरभी कभी कभी बहूतहीं मुडमें होती हो तुम.खुद पास आती हो ,मुझे बहकाती हो.लेकीन जब मै कुछ करनेके लिए कहताँ हुँ तभी तुम्हे क्याँ हो जाता है?"
"दिखाईए आपका हाँथ,जबतक स्टेशन नहीं आएगा मेरेंही हाँथोंमे रहने दिजीए.अब तो नाराज नहीं है ना आप."
" हमारा स्टेशन आ गया.नीचे उतरो.शामको हम दोंनो कॉफी पिनेकेलिए जा रहे है.बिना कॉफीके मै तुम्हें ट्रेनमें चढने नहीं दुँगा.मै जब ऑफीससें निकलुँगा ,तुम फौरन मेरेपिछे निकल आना."
"और कुछ..."
शामको कैवल्य और आरोही दोनोंही ऑफीससे एक घंटा पहलेही निकल आए.कैवल्य दोस्तकी बाईक लेंके आया.आरोही रीक्षास्टॉपसे कैवल्यके साथ बाईकपे बैठी.
"बाईक क्यु ली आपने?कॉफीशॉपतो नजदिकही है ना."
"कीतनीबार मेरे साथ कॉफी पिओगी मेरी जान,आज कुछ अलग करते है."
"आपके मनमें क्या चल रहा है कैवल्य?हम कहाँ जा रहे है?"
"तुम्हे मुझपें भरोसा नहीं है क्या?और अगर भरोसा नहीं है तो आप हमारे अच्छे दोस्त है इस बातका कोई मतलब नहीं है."
"वैसी बात नहीं है,लेकीन अगर आप साफ बात करेंगे तो क्या आसमाँन गिर जाएगा."
कैवल्यने एक बडा पेड देखके गाडी रोकली.
"मेरेसाथ उस पेडके पिछे दो मिनीट आओ."
"पर कीसलिए?"
"अब ये बातभी तुमको बतानी पडेगी क्या?एक सालसे मेरेसाथ घुमरहीं हो कभी तुम्हारी मर्जीके बिना कुछ कीया है क्या?अब एक मर्द होनेकी वजहसे मै तुम्हारी और खिचाँ चला आता हुँ और तुम्हे कीस करना चाहताँ हुँ तो इसमें गलत क्या है?"
"कुछभी....हम सिर्फ अच्छे दोस्त है.मुझे अभी इसीवक्त घर जाना है."
"फीरसे सोचलो,ऐसा मौका फीर नहीं आएगा."
"आप मुझे स्टेशनपें छोडीए,प्लीज."
कैवल्य गुस्सेमें आरोहींको स्टेशन लेके आया.
"आरोही मँम,आपको मैने जैसा ले गया गया था,वैसाहीं सहीसलामत वापस लेके आया हुँ."
एक माँहतक सन्नाटा था.दोनो सिर्फ एकदुसरेंको देखे जा रहें थे.दोनोंकाही वक्त ऑफीसमें कट नहीं रहा था.जींदगी मायुस हो चुँकी थी.एक दिन कैवल्य बुखारसे बेहाल था.लेकीन वो लीव लेंके घरभी नहीं जा रहाँ था.न रहकर आरोहीने उसे ऑफीससे बाहर निकाला और डॉक्टरके पास ले गयी.उस दिनसे दोंनोंकी दोस्ती फीर शुरु हो गयी.दोंनो एकदुसरेंके साथ घुमने लगे,अपनी फँमिली प्रॉब्लेमस् शेअर करने लगे.दो तीन माँह अच्छे गुजरे.एक दिन नमितको कंपनीमें प्रमोशन मिंला और उसे छँह महीनोंकेलिए अमरीका भेजा गया.आरोहीनेभी फौरन दोनों बच्चोंको प्राथमिकता देत़ेहुँए अपनी जॉब छोड दी और नमितको अमरीका जानेकी अनुमती देदी.अब आरोहीका ऑफीस आनाजाना बंद हो गया.उस वजहसे कैवल्य और उसकी मुलाखातेंभी कम हो गयी.कभी गार्डनमें,मंदीरमें,मॉलमें,हॉस्पिटलमें दोंनो एकदुसरेसे हफ्तेदोहफ्तेमें एकबार मिलने की कोशिश करने लगे.एक दिन कैवल्य आरोहीके पिछेही पड गया.
"आरोही,आज रात मै तुम्हारे घर आनेवाला हुँ.तुम्हारे बच्चे जब सो जाए ,मुझे फोन करना.अगर आज रात तुमने मुझे फोन नहीं कीया तो मै तुमसे कभी बात नहीं करूँगा."
"कैवल्य ,बस कीजीए.इसके आगे और एक लब्जभी नहीं.एकमर्द और एक औरत क्या कभी सिर्फ अच्छे दोस्त बनकर नहीं रह सकते क्या ?मै आपके साथ हँसती हुँ,गप्पे लगाती हुँ,इसका मतलब मुझे आपके साथ सोनाही पडेगा क्या?अगर आपने सिर्फ बिस्तरकेलिए मेरे साथ रीश्ता बनाके रखा है तोफीर आज के बाद हम कभी नहीं मिलेंगे.",आरोही गुस्सेमें लाल होकर बातें सुनाकर चली गयी.
आठदस दिन शांतीसे गुजरे.कैवल्यने फीरसे आरोहीको फोन कीया.
"हँलो,आजतो दिमाग ठंडा है ना तुम्हारा."
"मै तो हमेशाही कुल रहती हुँ,आप बताईये आपकी तबियत कैसी है?
"मुझसे झगडाभी करती हो और मेरी तबीयतभी पुँछती हो.जवाब नहीं है तुम्हारा.क्यु इतना अच्छा बरताव करती हो मेरेसाथ."
"मै एक औरत हुँ .हमारी भारतीय संस्कृती की मर्यादाओंकी वजहसे एक लडका और लडकी कभीभी सिर्फ अच्छे दोस्त नहीं हो सकते.इसीलिए आपने मेरेबारेंमे अपने दिमागमें कचरा पाल रखा है.पर मुझे पता है आप दिलके नेक इन्सान है .इसीलिए मै आपसे अच्छा बरताव करती हुँ"
"अच्छा,सुनोना गुंजन गाँव गयी हुई है.आज रात आओना मेरे घर.मै एक अच्छा इन्सान हुँ,तुमही कहती हो तोफीर अगर मै तुम्हारे करीब आना चाहता हुँ तो इसमें गलत क्या है."
"आप कुछभी बकते है.एकदुसरेंके करीब बैठना,हाथमें हाथ देना,कॉफी पिना,बाते करना ये अलग बाते है.आपतो रात बितानेके लिए बुलाते है"
"कुछ नहीं होंगा,कीसीको कुछ नहीं पता चलेगा.तुम मेरे साथ चँटींग कर सकती हो,फोनपें गप्पे लडा सकती हो,तो अगर मै तुम्हे हाँथ लगाऊंगा तो क्या होगा?"
"कैवल्य,एकदुसरेको पसंद करना अलग बात है.जो चीज हमें पसंद हो वो हमेशा मिलेगीही ये जरूरी नहीं है.आप इस बातको क्यु नजरअंदाज कर देते है की हम दोनो शादीशुदा है.और आप फीजीकल रीलेशनशीप की जो बात करते है वो कीस लिहाजसे सही है.अगर आप सिर्फ इसी मुद्देपें बात करना चाहते है तो मुझे आजके बाद कभी फोन मत कीजीएगा."
कुछ दिनोंबाद अचानकसे कैवल्य और आरोही एक गार्डनमें एकदुसरेंके सामने आ गये.आरोही अपने बच्चोंको लेकर आगे बढने लगी.तभी कैवल्यने आवाज दी.
"रूको आरोही,अपने दोस्तको माफ करो.मेरा दिल हमेशा गलत सोंचता रहाँ लेकीन तुमने हमेशा मुझे सही राँह दिखायी.जिंदगीमे मै बहुत बडी गलती करनेवाला था लेकीन तुम्हारी अच्छी सोचकी वजहसे मै गुँजनका अपराधी नहीं हुँवा.मै तुम्हे तहेंदिलसे शुक्रीया कहना चाहता हुँ."
"आप गलती कर रहे है कैवल्य,दोस्तीमें नो शुक्रीया,नो सॉरी."
अर्चना पाटील,
अमळनेर