क्रोध
सुशांत चौधरी गाँव में चल रहीं इकलौती कंपनीका मालिक था.गावके सभीं युवकोंको इसी कंपनीसे सदींयोंसें रोजगार मिल रहा था.गाँववालोंके लिए वो एक भगवानकी तरहहीं था.गोरा रंग ,गुलाबी रंगके गाल,चेहरेपें हमेंशा प्यारीसी लेकीन खामोशीभरी मुस्कुराहट,हमेशा सफेद रंगके कपडे और साफ चरीत्र...देवताजैसेही था वो! गाँवके लोग कोईभी समस्या लेके आए,वो उन्हे कभी मायुस नहीं करता था.कीसीमेंभी उसे उलटा जवाब देनेंकी हींमत नहीं थी.अगर वो कीसींके बारेमें कुछ गलतभी करदे तो लोग उस बात को नजरअंदाज कर देते थे.उसकी छोटी बहन आदीती गाँवमेंही कॉलेजमें पढती थी.
एक दिन आदीती कॉलेज गयीं.शाम के पाँच बज गए. लौटीहीं नहीं.सुशांतभी कुछ कामसें शहर गया था.आदीतीकी माँ आशादेवी चिंता करने लगीं.तभीं आदीतीकी सहेलीका फोन आया.आदीतीका अँक्सीडेंट हो गया है और उसे गाँवके सरकारी अस्पतालमें भर्ती कराया गया है.आदीतीको जब अस्पतालमें अँडमिट कीया गयाँ वहाँ के डॉक्टर ड्युटींपें नहीं थे.उन्हे फोन करके बुलाया गया तो वो शराबके नशेंमे धुत थे.डॉक्टर अस्पतालतों पहुँचे लेकीन शराबकी वजहसें वो आदीतीका इलाज नहीं कर पाए और आदीतीकी साँसोंने आखिरकार अपना दम तोड दिया.
सुशांतको जब ये बात पता चलीं तो वो गुस्सेमें लाल हो गया.लेकीन पहले उसने धीरज रखकर आदीतीका अंतिमसंस्कार कीया.आदीतीतो चलीं गयीं लेकीन उसकी कमीं आशाताई और सुशांतको पलपल महसुस हो रहीं थी.आदीतीके अंतिमसंस्कारमें आए हुए हर इन्सानका एकहीं कहना था डॉक्टरकी बेपर्वाईही आदीतीको हमसें दुरलें गयी.
रातके आठ बजे थे.सुशांतने अपने नौकर राजीवको बुलाया.
"डॉक्टर कें बारेमें क्या जानते हों?"
"डॉक्टर के परीवार में सिर्फ उसकी बिवी और एक बेटी है.डॉक्टर इस हादसेके बाद छुट्टी लेके गायब हो गया है.बेटी शहरमें पढती है लेकीन आजकल छुट्टीयोमें यहीं है.डॉक्टर की बेटी रजनीही उसकी जान है.वो भी शहरमें डॉक्टरकी ही शिक्षा ले रहीं है.इसीलिए दोंनो मियाँबिवी अपने बेटींपे इतना इतरातें है."
"इस दुनियांमे हर कीसीकी जान कीसी औरमें बसती है,राजीव.रातको दो बजें हमें डॉक्टर कें घर जाना है."
रात के दो बजे थे.सुशांत अपने नौकरके साथ डॉक्टरके घरके सामने खडा हो गया.सुशांतने डॉक्टर का दरवाजा खटखटाया. रजनी अपने मोबाईलपें वेब सिरीज देख रहीं थी.उसीने हमेशाकी तरह कोई पेशंट होगा ये सोचके अनजानेमें दरवाजा खोल दिया.रजनीको देखतेही सुशांतने उसका हाँथ खीचाँ और उसे जबरदस्ती अपनी गाडीमें बिठाया.रजनी चिल्ला रहीं थी.
"लिव्ह मी,आखिर तुम हो कौन?मम्मा,मम्मा मुझे बचाओ.वसिम अंकल ,हेल्प मी.हेल्प.हेल्प."
रजनीकी आवाज सुनके उसकी माँ फौरन बाहर आयी.सुशांतको देखकर वो हैराण हो गयीं.
"छोडो,छोडो मेरी बेंटी को.मेरी बेटींने तुम्हारा क्या बिघाडा है?कोई तो इसे रोंको.",रजनीकी माँ रो रो के मददके लिए चिल्ला रहीं थी.पडोंसके लोग शोरसे जागें लेकीन सुशांतको देखके कोईभी घरसे बाहर निकला नहीं.आखिरकार सुशांत रात के अंधेरेमे रजनीको अपनी गाडीमें जबरदस्ती अपने बंगलेपें ले आया.गाडीसे उतरतेही रजनी शोर मचाने लगीं.
"लिव मी,प्लीज लीव मी.फॉर गॉड्स सेक ,मुझे जाने दो."
रजनीकी आवाज सुनके आशादेवीभी हॉलमें आ गयी.
सुशांत घसीटते घसीटते रजनीको उपर अपने कमरेंमे ले गया.आशादेवी 'सुशांत,सुशांत'आवाज देती रहीं लेकीन सुशांतने उनकी तरफ ध्यानहीं नहीं दिया.सुशांतने कमरेके अंदर जातेही कमरेंका दरवाजा अंदरसे बंद कर लिया.राजीवने आशादेवीको सारी हकीकत बयान कर दी.आशादेवी सारी बात सुनकर निराश होकर अपने कमरेंमे चली गयीं.
रजनी अपनी जिंदगीमे सुशांतको पहलीबार देख रहीं थी.डरके मारे उसकी जान निकल रहीं थी.सुशांत बहुतहीं गुस्सेमें था.
"प्लीज,लीव्ह मी."
"चुप,एकदम चुप.तुम्हारेपास सिर्फ दो ऑप्शन है.ये एक मँरेज फॉर्म है .इसपर साईन करो और दुनियाकेलिए मेरी बीवी बनकर इस घरमें हमेशाकेलिए रहों .मै वचन देताँ हू , मै कभी तुम्हें छुऊंगा नहीं. और अगर तुम साईन नहीं करोगी तो तुम्हारे करीब आनेसे मुझे कोई रोक नहीं सकता."
"ये क्या पागलपन है...देखिए आप इसवक्त बहुत गुस्सेमें है.आप अपने होशमें नहीं है."
"शु....तुम शादी करोगी या नहीं,सिर्फ हाँ या ना"
सुशांत और रजनीके बींचमें बिलकुल दुरीं नहीं थी.रजनी एक दिवारसे चिपककर अपनेआपको पुरीतरह सुशांतसे चुराकर और डरकें मारे नजरे झुकाकर खडीं थी.वहीं सुशांत उसके दोनों कंधोसे थोडाउपर दिवारपें हाथ रखके खडा था.दोनोंकी साँसेभी एकदुसरेसे टकरा रहीं थी.
"हम तो आपको जानतेतक नहीं..."
ये बात सुनतेही सुशांतने रजनीको गालपें एक तमाचा लगा दिया.सुशांतकी मारसे रजनी पुरीतरह हार गयीं.उसमें बात करनेकीं हीम्मतहीं नहीं रहीं.
"हाँ या नहीं"
रजनीने सिर हीलाकरही रोते रोते झुँकी नजरोंसे नहींका जवाब दे दीया."
सुशांतने नहीं सुनतेही रजनीको कससे पकड लिया और उसके पुरी बदनपें सुशांतके हाथ घुमने लगे.रजनी रो रहीं थी.सुशांतकी बाहोंसे निकलने की कोशिश कर रहीं थी लेकीन सुशांतके ताकतके सामने वो हीलभी नहीं पा रहीं थी.थोडीही देरमें सुशांतने खुदका शर्ट निकालके रजनीको बेडपें फेंक दिया.रजनीकेसाथ बेडपें जबरदस्ती करतेवक्त रजनीका कुडता फट गया और अब इसके आगे सुशांतके स्पर्शको सहन करनेकी उसमें सहनशीलता नहीं रहीं.सुशांतकी शिकार होनेके डरसे रजनीने बेडपेंही "मै तयार हुँ "सिसकके बोल दिया.
दुसरेही क्षण सुशांतने कागज और पेन उसकें हाथमें दिया.रजनीने रोते हुए साईन कीए.उसके हाँथ डरसे काँप रहें थे.जबरदस्ती करतेवक्त सुशांतने एक दो बार उसे मारा भी था.सुशांतकी उंगलियोंके निशाण उसकें गालोंपर साफ दिखाई दे रहें थें.सुशांतकी अंगुठी रजनीके ओठोंसे टकरा गयीं थी और ओंठोंसे खुन बह रहाँ था.रजनीका कुडता फटा हुआँ था इसीवजहसें वो खुदको सुशांतके सामने खुदको इस हालतमें बरदाश्त नहीं कर पा रहीं थी.शरमिंदगीसे रजनी अपना चेहरा सुशांतसे चुरा रहीं थी.
साईन होतेही सुशांतने अपना एक जँकेट रजनीको पहननेके लिए बेडपें रख दिया.एक पानी का ग्लास और ओठोंपे लगानेकेलिए एक ट्युबभी वहाँ पे रख दिया.
"यहाँ से भागनेकी कभी कोशिश मत करना क्योंकी आजसे तुम कानुनन मेरी बीवी हो.दुनियाके कीसीभी कोनेमें जाओगी तो मै तुम्हें ढुँढही लुँगा.वैसेभी सुशांत चौधरीके मर्जीके बिना इस घरसेतो हवायेंभी नहीं गुजरतीं"
सुशांत चौधरी नाम सुनतेही रजनीको सारीबात समझमें आ गयी.सुशांतने अपनी बहनकी मौतका बदला रजनीको अपने पापासे जिंदगीभर दुर करके लिया था.सुशांतकी मारसे और जबरदस्तीसे रजनीके पुरे शरीरमें दर्द हो रहाँ था.रजनीने जँकेट पहनकर रातभर बेडपे रोती रहीं. सुशांतने बाहरसे कमरा लॉक कर लिया था.सुशांतभी आदीतीकी तसबीरके सामने उदास होकर बाहर हॉलमें बैठा रहाँ.
सुबह होतेही आशादेवीने सुशांतको रजनी को लेकर खुब सुनाया.
"माँ,आप इस मामलेमें बिलकुल नहीं पडोगी.जब कोई अपना कीसी की बेपर्वाईके कारण हमारी जिंदगीसे हमेशाके लिए निकल जाता है ,तो कैसा लगता है,बस इसी बात का एहसास मै उस नालायक डॉक्टरको दिलाना चाहताँ हुँ."
"लेकीन तुम्हारा तरीका गलत है बेटा.सारे गावको पता है,तुमने रजनीको जबरदस्ती उठाया है."
"माँ,आप शाँती रखिए .मै सब संभाल लुँगा.मुझे आदीतीकी मौतका बदला लेना था बस और उस डॉक्टरको सबक.सिखाना था.बस,और कुछ नहीं."
सुशांत नाश्ता लेकर कमरेंमे पहुँचा.रजनी बेडपेही लेटी थी.अब तो उसकी हालत सुशांतसेभी देखी नहीं जा रहीं थी.सुशांतने फौरन एक नर्सको घरपें बुलवाया.नर्सने रजनीको पेनकीलर दी.उसकी ओठोंको दवाई लगायी.सुशांत फीर दोपहरका खाना लेकर कमरेंमे आया.लेकीन सुबहके नाश्तेको रजनीने हाथभी नहीं लगाया था.
"खाना खाँ लो,कीतने दिन भुँखी रहोगी?"
"हमें घर जाना है."
"अब यहीं तुम्हारा घर है"
"नहीं है ये हमारा घर,आप हमें यहाँ जबरदस्ती उठा लाए है.बरसोंसे यहीं होता आ रहा है.दो मर्दोंके बीच जब कभी कोई रंजीश होती है तो उसकी सजा हमेशा कीसी औरतकोही मिलती है.आपकी नफरत तो हमारे पापासे थी,फीर आपने आपके अंधे क्रोधमें हमें क्यु जलाया?आपकी बहन ,आप,और एक डॉक्टर.... इसमें मेरा क्या कसुर है?",रजनी अपने मनमें सुशांतप्रती दबी हुयी नफरत बाहर निकाल रहीं थी.
"कसुर है...तुम उस डॉक्टर की बेटी हो.अब वो जिंदगीभर तुमसे मिलनेकेलिए तरसेगा.तभीं उसे इन्सानोंकी कीमत पता चलेगी."
"सुशांत साहब,डॉक्टर आया है नीचे गेटपर."कमरेके बाहरसे नोकर राजीवकी आवाज आयी.
सुशांत फौरन दरवाजा बाहरसे बंद करके निकल गया.
"मेरी बेटीको छोड दो.मुझे मेरी गलतीका एहसास है.मै आजके बाद कभीभी प्रँक्टीस नहीं करूँगा."
"मेरी बहनको लेके आओ और अपनी बेटीको लेकें जाओ.",ऐसा बोलतेही बंगलेका दरवाजा बंद हो गया.
डॉक्टर को पुलीस,गाववाले कीसीसेभी रजनीके मामलेमें कोई राहत नहीं मिली.सुशांतके पास मँरीज सर्टीफिकीट था.कानुनन रजनी सुशांतकी बिवी थी इसलिए कोई उसका कुछभी बिघाड नहीं सका.सुशांत अपने प्रयासमें सफल रहा.डॉक्टरको अपनी गलतीका एहसास हो चुकाँ था और वो फुटफुटकर रोते हुए खाली हाथ निकल गया.कुछ महीनोंबाद सुशांतकोभी एहसास हुवा की उसके पलभरके क्रोधने रजनीकी जिंदगी बरबाद कर दी.सुशांतने कुछही दिनोंमे कानुनन कारवाई पुरी करके रजनीको विवाहबंधनसे मुक्त कर दिया.
"जब मनमें आया तब उठा लिया और अब पचतावा हो रहा है...तो घरसे निकाल दिया.लेकीन आजके बाद क्या मुझे कोई शरीफ घरका लडका अपनाएगा?अगर आप सचमे अपनी गलतीका प्रायश्र्चित करना चाहते है तो मेरेसाथ नयी शुरूवात कीजीए.है आपमें हीम्मत?"
"जरूर,सुशांत चौधरी कभी कीसीको निराश नहीं करता डॉक्टर मँम.आप अपनी पढाई फीरसे शुरू कीजीए... तभीं हम समझेंगे की आपने हमें माफ कीया."
अर्चना पाटील,
जळगांव