प्रेम गीत ०१
साथ के पल ,
वे तेरी मुस्कान के पल ,
ओह!कितने मधुर, कितने
अमर पल थे जिये मैंने ।
साथ के पल वे तेरी मुस्कान के पल।
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वे प्रमन पल ,
जोकि सज्जित थे नयन जल ,
हों कि जैसे गोल पातों पर
कमल की ओस का जल ।
साथ के पल, वे तेरी मुस्कान के पल ।
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वे सुखद पल ,
जब स्पन्दित था ह्र्दयतल।
अकथ एक अनुभूति जैसे ,
नीर निर्झर की खनक
आवाज कलकल ।।
साथ के पल, वे तेरी मुस्कान के पल ।।