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प्रेम गीत ०१

साथ के पल ,

वे तेरी मुस्कान के पल ,

ओह!कितने मधुर, कितने

अमर पल थे जिये मैंने ।

साथ के पल वे तेरी मुस्कान के पल।

**

वे प्रमन पल ,

जोकि सज्जित थे नयन जल ,

हों कि जैसे गोल पातों पर

कमल की ओस का जल ।

साथ के पल, वे तेरी मुस्कान के पल ।

**

वे सुखद पल ,

जब स्पन्दित था ह्र्दयतल।

अकथ एक अनुभूति जैसे ,

नीर निर्झर की खनक

आवाज कलकल ।।

साथ के पल, वे तेरी मुस्कान के पल ।।