प्रस्तावना
साईंबाबा के पूजन के लिए सभी दिनों में गुरुवार का दिन सर्वोत्तम माना जाता हैं| साईं व्रत कोई भी कर सकतें हैं चाहे बच्चा हो या बुजुर्ग या महिला |ये व्रत कोई भी जाती-पति के भेद भावः बिना कोई भी व्यक्ति कर सकता है|शिर्डी साईं बाबा वैसे भी हम सभी जानते हैं कि साईं बाबा जात-पात को नहीं मानते थे और उनका कहना था कि इश्वर तो एक ही है| सबका मालिक एक |
ये व्रत कोई भी गुरूवार को साईं बाबा का नाम ले कर शुरू किया जा सकता| सुबह या शाम को साईं बाबा के फोटो की पूजा करना किसी आसन पर पीला या लाल कपडा बिछा कर उस पर साईं बाबा का फोटो रख कर स्वच्छ पानी से पोछ कर चंदन या कुमकुम का तिलक लगाना चाहिये और उन पर पीला फूल या हार चढाना चाहिये अगरबत्ती और दीपक जलाकर साईं व्रत की कथा पढ़ना चाहिये और साईं बाबा का स्मरण करना चाहिये और प्रसाद बाटना चाहिये प्रसाद में कोई भी फलाहार या मिठाई बाटी जा सकती है| अगर सं भव हो तो साईं बाबा के मंदिर में जाकर भक्तिभाव से बाबा के दर्शन करना चाहिए, और बाबा साईं के भजनों में भक्तिमय रहना चाहिए |
शिरडी के साई बाबा के व्रत की संख्या 9 हो जाने पर अंतिम व्रत के दिन पांच गरीब व्यक्तियों को भोजन और सामर्थ्य अनुसार दान देना चाहिए| इसके साथ ही साई बाबा की कृ्पा का प्रचार करने के लिये 7, 11, 21 साई पुस्तकें या साईं सत्चरित्र , अपने आस-पास के लोगों में बांटनी चाहिए| इस प्रकार इस व्रत को समाप्त किया जाता है| इसे उददापन के नाम से भी जाना जाता है |