शेंदूर लाल चढायो अच्छा गज...
शेंदूर लाल चढायो अच्छा गजमुखको ।
दोंदिल लाल विराजे सुत गौरीहरको ।
हाथलिये गुडलड्डू साई सुरवरको ।
महिमा कहे न जाय लागत हुं पदको ॥१॥
जय जयजी गणराज विद्या सुखदाता ।
धन्य तुमारो दर्शन मेरा मन रमता ॥धृ॥
अष्टौ सिद्धी दासी संकटको बैरी ।
विघ्नविनाशन मंगल मूरत आधिकारी ।
कोटीसूरज प्रकाश ऎसी छबी तेरी ।
गंडस्थलमदमस्तक झूले शशिबहारी ॥जय.॥२॥
भावभगतिसे कोई शरणागत आवे ।
संतति संपत्ति सबही भरपूर पावे ।
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे ।
गोसावीनंदन निशिदिन गुण गावे ॥ जय.॥३॥
दोंदिल लाल विराजे सुत गौरीहरको ।
हाथलिये गुडलड्डू साई सुरवरको ।
महिमा कहे न जाय लागत हुं पदको ॥१॥
जय जयजी गणराज विद्या सुखदाता ।
धन्य तुमारो दर्शन मेरा मन रमता ॥धृ॥
अष्टौ सिद्धी दासी संकटको बैरी ।
विघ्नविनाशन मंगल मूरत आधिकारी ।
कोटीसूरज प्रकाश ऎसी छबी तेरी ।
गंडस्थलमदमस्तक झूले शशिबहारी ॥जय.॥२॥
भावभगतिसे कोई शरणागत आवे ।
संतति संपत्ति सबही भरपूर पावे ।
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे ।
गोसावीनंदन निशिदिन गुण गावे ॥ जय.॥३॥