कुछ कमी (इक कविता)
1) हर किसी की जिनदगी मे कुछ कमी होती है,किसी को महसूस होती है तो किसी को नहीं होती, पर कुछ कमी कुछ कमी जरूर होती है।
2)जीना चाहने वालों के लिए जीने के पलों की कमी होती है ,मरने वालों के लिए केवल आँखोँ मे नमी होती है ,बस कुछ कमी कुछ कमी होती है।
3)हँसने वालों के लिए ,दुखों की कमी होती है गमो मे डूबे रहने वालों के लिए खुशी की कमी होती है ,बस कुछ कमी, कुछ कमी होती है।
4) जब कोई हमारे पास हो,हमारे साथ हो तब उसकी एहमीयत की कमी होती है,जब वह खोता है तो उसकी कमी बस कमी होती है, बस कुछ कमी कुछ कमी होती है।
5)आज हमारी आँखों मे कुछ नमी है ,न जाने किसकी कमी है तो आज लगता है कुछ कमी ,कुछ कमी है हमारी जिनदगी मे भी कुछ कमी है, किसी को महसूस होती है किसी को नहीं पर कुछ कमी ,कुछ कमी जरूर होती है।
यह मेरी पहली कविता है जो पहली वार पोस्ट की है. लिखने का शौक तो था पर कभी पब्लिश नहीं की मुझे लगता है जो लिखने का शौक रखते हैं.यह कविता जिन्दगी की सच्चाई बयान करती है की चाहे जो भी हासिल करो पर फिर भी जिन्दगी में कुछ न कुछ कमी रह ही जाती है ।हम चाहकर भी कभी भी जिन्दगी में संतुष्ट नहीं हो पाते हर बार ही लगता रहता है यह रह गया वो रह गया ऐसा होना चाहिए था बस इसी तरह के ही ख्याल दिल और दिमाग में चलते रहते हैं।कमी तो होती है पर हमें अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए और खुद को खुश रखने के लिए उस कमी को एक तरफ कर आगे बढ़ना ही होता है अगर हम ऐसा नहीं करते तो हमेशा दुखी ही रहते हैं और ज़िन्दगी एक बार ही मिलती हैं तो उसे हम अपने ग़म और कमी में बर्बाद नहीं कर सकते इसलिए चाहे जीवन में कमी है पर आगे बढ़ो और खुश होकर जिन्दगी जियो।