राम और लक्षमण
रामायण के मुताबिक एक बार राम अपने कमरे में यम से वार्तालाप कर रहे थे | बाहर उन्होनें लक्ष्मण को खड़ा किया था ताकि उन्हें कोई परेशान न कर सके | यम ने निर्देश दिया था की इस बातचीत को अगर किसी ने सुन लिया तो उसे मौत प्राप्त होगी | तभी दुर्वासा राम से मिलने की इच्छा से कमरे के दरवाज़े पहुँच जाते हैं |वह लक्ष्मण से राम से मिलने की बात कहते हैं | लक्ष्मण के मना करने पर दुर्वासा कहते हैं की यदि उन्हें अंदर जाने की इजाज़त नहीं मिली तो वह पूरी अयोध्या को श्राप दे देंगे | लक्ष्मण सोचते हैं की सब को श्राप देने से अच्छा है की में मौत ग्रहण कर लूं | वह जाकर राम को दुर्वासा के आने की खबर देते हैं | राम उस समय दुर्वासा का मन से स्वागत करते हैं लेकिन बाद में उन्हें यम को किया वादा याद आता है |क्यूंकि वह लक्ष्मण को स्वयं तो नहीं मार सकते थे वह उन्हें वहां से जाने को कहते हैं | लक्ष्मण सरयू की तट पर जाकर अपने प्राण त्याग देते हैं |