कार्मिक संयम
हिन्दू धर्म की ख़ूबसूरती उसके कार्मिक संयम में है , मतलब चाहे आप भगवान हों , इंसान हों या संत आपको आपके कर्म द्वारा ही परखा जाएगा |
मसलन सब कौरव स्वर्ग गए लेकिन पांडवों में से सिर्फ युद्धिष्ठिर स्वर्ग गए क्यूंकि उन्होनें युद्ध में गलत तरीकों का इस्तेमाल किया था |
श्री कृष्ण को गांधारी ने श्राप दिया था और उनका पूरा यादव समुदाय एक बहुत अटपटे तरीके से मारा गया , वह नदी के नज़दीक घुमने गए और लडाई छिड गयी और पूरे परिवार ने एक दूसरे को मार दिया और श्री कृष्ण खड़े देखते रह गए |
जब शिव ने गणेश का सर काट दिया तो वह उसे वापस न लगा पाए , उन्होनें इस सूरत में वही किया जो कर्म के हिसाब से सही था |
पार्वती को कामदेव की पत्नी रति ने श्राप दिया था की पार्वती की कोख से कभी बच्चा जन्म नहीं लेगा इसलिए गणेश ,कार्तिक और अशोक्सुन्दरी का जन्म अलग सूत्रों से हुआ है |
चंद्रमा को प्रजापति ने श्राप दिया था की उन्हें शय रोग हो जायेगा और इसलिए चंद्रमा घटता बढ़ता रहता है |
एक बार विष्णु पति पत्नी बिछोह के ज़िम्मेदार हो गए उन्हें श्राप मिला और अगले अवतार में राम की तरह उन्हें भी अपनी पत्नी से वियोग सहना पड़ा |
और भी कई ऐसे उदाहरण हैं जहाँ भगवानों ने इंसानों की तरह श्राप का बोझ सहा | हिन्दू धर्म जैसा संयम किसी और धर्म में नहीं है |