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ऐरे नीव


कोलिद्त्ज़ कैसल एक किले जैसा है जहाँ से निकलना नामुमकिन जैसी बात है |250 फीट ऊँची चोटी पर स्थित इस कैसल की दीवारें 7 फीट चौड़ी हैं | इस जगह पर ऐरे नीव को कैदी बना के रखा गया था |हांलाकि वहां उसे बहुत इज्ज़त से रखा गया था फिर भी वहां से रहना उसके लिए ज़रूरी था | पहली बार उसने भागने की कोशिश की 28 अगस्त 1941 में जब उसने हरे रंग शरीर पर लगा के जर्मनी की यूनिफार्म जैसा दिखने की कोशिश की | जैसे ही उस पर रौशनी पड़ी वह रंग सबसे अलग दिखने लगा और वह पकड़ा गया |पांच महीने बाद उसने फिर कोशिश की लेकिन इस बार उसके साथ एक और कैदी थी | दोनों ने नकली जर्मनी यूनिफार्म पहनी और छत के रास्ते से भागने में कामयाब हुए |कभी पैदल और कभी ट्रेन में वह 650 किलोमीटर का सफ़र पूरा करने में सफल हुए |स्विस सीमा पर घुटने के बल चल के फ्रांस और स्पेन को पार कर वह 4 महीने बाद इंग्लैंड पहुँचने में कामयाब हुए |