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लेखन कार्य एवं प्रकाशन

गाँधी जी पर हवाई बहस करने एवं मनमाना निष्कर्ष निकालने की अपेक्षा यह युगीन आवश्यकता ही नहीं वरन् समझदारी का तकाजा भी है कि गाँधीजी की मान्यताओं के आधार की प्रामाणिकता को ध्यान में रखा जाए। सामान्य से विशिष्ट तक -- सभी संदर्भों में दस्तावेजी रूप प्राप्त गाँधी जी का लिखा-बोला प्रायः प्रत्येक शब्द अध्ययन के लिए उपलब्ध है। इसलिए स्वभावतः यह आवश्यक है कि इनके मद्देनजर ही किसी बात को यथोचित मुकाम की ओर ले जाया जाए। लिखने की प्रवृत्ति गाँधीजी में आरंभ से ही थी। अपने संपूर्ण जीवन में उन्होंने वाचिक की अपेक्षा कहीं अधिक लिखा है। चाहे वह टिप्पणियों के रूप में हो या पत्रों के रूप में। कई पुस्तकें लिखने के अतिरिक्त उन्होंने कई पत्रिकाएँ भी निकालीं और उनमें प्रभूत लेखन किया। उनके महत्त्वपूर्ण लेखन कार्य को निम्न बिंदुओं के अंतर्गत देखा जा सकता है:

पत्रिकाएँ

गाँधी जी एक सफल लेखक थे। कई दशकों तक वे अनेक पत्रों का संपादन कर चुके थे जिसमे हरिजन, इंडियन ओपिनियन, यंग इंडिया आदि सम्मिलित हैं। जब वे भारत में वापस आए तब उन्होंने 'नवजीवन' नामक मासिक पत्रिका निकाली। बाद में नवजीवन का प्रकाशन हिन्दी में भी हुआ। इसके अलावा उन्होंने लगभग हर रोज व्यक्तियों और समाचार पत्रों को पत्र लिखा

महात्मा गांधी

सुहास
Chapters
मोहनदास करमचन्द गांधी प्रारम्भिक जीवन कम आयु में विवाह विदेश में शिक्षा व विदेश में ही वकालत दक्षिण अफ्रीका (१८९३-१९१४) में नागरिक अधिकारों के आन्दोलन १९०६ के ज़ुलु युद्ध में भूमिका भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए संघर्ष (१९१६ -१९४५) चंपारण और खेड़ा असहयोग आन्दोलन स्वराज और नमक सत्याग्रह (नमक मार्च) हरिजन आंदोलन और निश्चय दिवस द्वितीय विश्व युद्ध और भारत छोड़ो आन्दोलन स्वतंत्रता और भारत का विभाजन मैनचेस्टर गार्जियन, १८ फरवरी, १९४८, की गलियों से ले जाते हुआ दिखाया गया था। गांधी के सिद्धांत लेखन कार्य एवं प्रकाशन प्रमुख प्रकाशित पुस्तकें कथित समलैंगिक प्रेम संबंध गांधी और कालेनबाख