Get it on Google Play
Download on the App Store

जय जय विघ्नविनाशन जय इश्व...

जय जय विघ्नविनाशन जय इश्वर वरदा।
सुरपति ब्रह्म परात्पर सच्चिंद्धन सुखदा॥
हरिहरविधिरुपातें धरुनिया स्वमुदा।
जगदुद्भवस्थितीप्रलया करिसी तूं शुभदा॥१॥
जय देव जय देव जय गणपति स्वामी, श्रीगणपती स्वामी, श्रीगणपती स्वामी।
एकारति निजभावें, पंचारति सदभावे करितो बालक मी॥धृ.॥
यदादिक भूतात्मक देवात्मक तूचि।
दैत्यात्मक लोकात्मविक सचराचर तूंची॥
सकलहि जिवेश्वरादि गजवदना तूंची।
तवविण न दिसे कांही मति हे ममसाची॥जय.॥२॥
अगणित सुखसागर हे चिन्मया गणराया।
बुद् धुदवत् जैअ तव पदि विवर्त हे माया॥
मृषाचि दिसतो भुजंग रज्जूवर वायां।
रजतमभ्रम शुक्तीवर व्यर्थचि गुरुराया॥ जय.॥३॥
अन्न प्राण मनोमय मतिमय हृषिकेषा।
सुखमय पंचम ऐसा सकलहि जडकोशां॥
साक्षी सच्चित् सुख तू अससि जगदीशा।
साक्षी शब्दही गाळुनि वससि अविनाशा॥जय.॥४॥
मृगजलवेत हे माया सर्वहि नसतांची।
सर्वहि साक्षी म्हणणे नसेचि मग तूचि।
उपाधिविरहित केवळ निर्गुणस्थिती साची।
तव पद वंदित मौनी दास अभेदेची॥जय देव.॥५॥