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जैक द रिपर: भाग २

और कथित शिकार

ग्यारह वाइटचैपल कत्लों के इलावा समीक्षकों न और कत्लों को भी रिपर से जोड़ा | "फैरी फे" केस में ये साफ़ नहीं है की हमला सच में हुआ ता या फिर रिपर की कहानियों में से एक था | "फैरी फे" क शिकार को दिया उपनाम था जिसका शरीर २६ दिसम्बर १८८७ को मिला था | उसके पेट में सटाके दाल कर हत्या की गयी थे लकिन क्रिसमस १८८७ के आस पास वाइटचैपल में किसी भी क़त्ल की जानकारी नहीं मिले थे | "फैरी फे" शायद प्रेस द्वारा एमा एलिज़ाबेथ स्मिथ जिसके पेट में लकड़ी या कोई कुंद वास्तु डाली गयी थी के क़त्ल से जुडी कोई अफवाह थी | कई लेखकों का मानना है की शिकार "फैरी फे" शायद मोजूद ही नहीं थी |एनी मिल्ल्वूड को २५ फेब्रुअरी १८८८ को वाइटचैपल की रुग्णशाला मं पैर और जांघों में गहरे घावों क साथ भारती किया गया | उसे छुट्टी दे दी गयी थी लेकिन फिर भी वह जाहिर तौर पर प्राकृतिक कारणों से ३१मर्च १८८८ को ३८ साल की उम्र में चल बसी | उसको बाद में रिपर का पहला शिकार बताया गया लेकिन इसके कोई पुख्ता सबूत नहीं है | एक और शुरुआती शिकार है अदा विल्सन जो २८ मार्च १८८८ को दो बार गले में चाकू घोंपे जाने के बावजूद भी बाख गयी | एनी फार्मर भी उसी लोजिंग हाउस में रहती थी जिसमें मरता तब्रम रहती थी और उसने २१ नवम्बर १८८८ को अपने ऊपर हुए हमले के बारे में बताया | उसके गले पर एक उपरी घाव था पर वो शायद खुद से दी गयी चोट थी |

 

"द वाइटहॉल मर्डर्स" नाम २ अक्टूबर १८८८ को वाइटहॉल के नए मेट्रोपोलिटन पुलिस हेडक्वार्टरस के बेसमेंट में मिली एक बिना सर की औरत की लाश को दिया गया | उसी लाश का हाथ इससे पहले पिमलिको के पास रिवर थेम्स में तैरता मिला था और एक पैर उसके शरीर के पास दफनाया गया था | शरीर के बाकी अंग और सर कभी नहीं बरामद हुए और लाश की शिनाख्त भी नहीं हुई | क़त्ल काफी कुछ पिंचिन स्ट्रीट के क़त्ल से मिलता जुलता था जहाँ पैर और सर काटे गए लेकिन हाथ नहीं | व्हाइटहॉल मिस्ट्री और पिंचिन स्ट्रीट केस "थेम्स मिस्ट्रीज" नाम के कत्लों की श्रृंखला का हिस्सा हो सकते हैं जिन्हें एक टोर्सो किलर नाम के कातिल ने अंजाम दिया था | ये बात विवादस्पद है की जैक द रिपर और टोर्सो किलर उस इलाके में सक्रिय दो अलग या एक ही शख्स थे | टोर्सो किलर का क़त्ल का तरीका रिपर से भिन्न था और पुलिस ने उस वक़्त उन दोनों के बीच कोई भी सम्बन्ध होने से इनकार कर दिया | एलिज़ाबेथ जैक्सन एक वैश्या थी जिसके शरीर के अलग अलग अंग रिवर थेम्स से जून १८८९ में तीन हफ़्तों के अन्दर निकाले गए | वो भी टोर्सो किलर की एक और शिकार हो सकती है |

 

एक सात साल के लडक जॉन गिल का शव मंनिन्ग्हम , ब्रैडफोर्ड में २९ दिसम्बर १८८८ को बरामद हुआ था | उसके पैर काट दिए गए थे , पेट खोला गया था , अन्त्रियाँ निकाली गयीं थी और उसका दिल और एक कान भी नदारद था | मैरी कैली के केस से मिलते जुलते होने के प्रेस में ये बात उठी की ये रिपर का काम हो सकता है | लड़के के मालिक दूधवाला विलियम बैरट को दो बार सांयोगिक सबूतों के बिनाह पर पकड़ा गया और दोनों बार छोड़ दिया गया | और किसी को कभी भी इस केस में पकड़ा नहीं गया |

 

कैर्री ब्राउन (उपनाम शेक्सपियर क्यूंकि वह शेक्सपियर की कवितायेँ सुनाती थी ) को २४ अप्रैल १८९१ में न्यू यॉर्क सिटी में कपडे से गला घोट और चाकू से काट कर मार दिया गया | उसके शरीर के रान में एक बड़ा सा चीरा लगाया गया था और उसके पैर और पीठ पर उपरी घाव थे | घटना स्थल से कोई शरीर का अंग गायब नहीं था लेकिन एक अंडाशय बिस्तर पर मिला जो या तो जान कर काटा गया था  या फिर गलती से काट दिया गया था  | उस वक़्त इन कत्लों को वाइटचैपल के कत्लों से मिलता जुलता पाया गया लेकिन मेट्रोपोलिटन पुलिस ने अंत में उनके जुड़े होने की सम्भावना को ख़ारिज कर दिया |

 

जांच

वाइटचैपल कत्लों के सिलसिले में बचीपुलिस फाइल्स में विक्टोरियन एरा में तहकीकात के तरीकों का विस्तृत ब्यौरा दिया है | पुलिस  अधिकारीयों की एक टोली ने वाइटचैपल में घर घर जा कर पूछताछ की | फॉरेंसिक सबूत ढूंढे कर जांचे गए | संदिग्धों की पहचान कर उन्हें ढूंढ कर जांचा गया और कई बार बरी भी किया गया | पुलिस के तहकीकात आज भी यह तरीका इस्तेमाल करती है | २००० से ज्यादा लोगों का साक्षात्कार किया गया , ३०० से ऊपर की तहकीकात हुई और ८० लोगों को रोका गया |

 

शुरुआती तहकीकात का सञ्चालन मेट्रोपोलिटन पुलिस वाइटचैपल डिवीज़न सीआयीडी डिटेक्टिव इंस्पेक्टर एदुम्न्द रीड के नेतृत्व ,में हुई  | निकोलस के क़त्ल के बाद स्कॉटलैंड यार्ड के सेंट्रल ऑफिस से डिटेक्टिव इंस्पेक्टर्स फ्रेडरिक अब्बेरलीन , हेनरी मूर और वाल्टर एंडरूस को मदद के लिए भेजा गया | एड्दोवेस के क़त्ल के बाद डिटेक्टिव इंस्पेक्टर जेम्स म्कविलियम्स के नेतृत्व में लन्दन शहर की पुलिस भी तहकीकात में शामिल हो गयी क्यूंकि ये क़त्ल लन्दन शहर में घटित हुआ था | लेकिन तहकीकात को सही दिशा में ले जाने के प्रयासों में अड़चन इसीलिए आयी क्यूंकि सीआयीडी के नए नियुक्त प्रमुख रोबर्ट एंडरसन ७ सितम्बर और ६ अक्टूबर के बीच छुट्टी लेकर स्विट्ज़रलैंड गए थे और इसी अवधी में चैपमैन ,स्ट्राइड , और एड्दोवेस का क़त्ल हुआ था | इस वजह से मेट्रोपोलिटन पुलिस कमिश्नर सर चार्ल्स वारेन ने चीफ इंस्पेक्टर डोनाल्ड स्वांसों को स्कॉटलैंड यार्ड से तहकीकात करने को कहा |

 

जॉन तेंनिएल (२२ सितम्बर १८८८) द्वारा बनाया गया "ब्लाइंड मैन ब्लफ " कार्टून जो पुलिस की नाकामयाबी का मज़ाक बनाता है | कातिल को पकड़ पाने की पुलिस की नाकामयाबी ने कट्टरपंथियों की इस सोच को पक्का किया की पुलिस अयोग्य और कुप्रबंधित है |

 

स्थानीय लोगों के एक समूह वाइटचैपल विजिलेंस कमिटी ने पुलिस की तहकीकात से नाखुश हो संदिग्धों को ढूँढने के लिए लन्दन के ईस्ट एंड इलाके का दौरा करना शुरू किया | उन्होनें सरकार को कातिल की जानकारी देने के लिए रखे गए इनाम को बढ़ाने के लिए याचिका दी और गवाहों से सवाल करने के लिए स्वतंत्र रूप से प्राइवेट डिटेक्टिवस की मदद ली |

 

कसाई, सर्जन, और चिकित्सकों पर क़त्ल के तरीक को नज़र में रख कर शक किया गया |  सिटी पुलिस के एक्टिंग कमिश्नर मेजर हेनरी स्मिथ द्वारा छोड़े गए दस्तावेज़ के हिसाब से स्थानीय कसाइयों के नजदीकियों से पूछताछ की गयी और फिर उन्हें बरी कर दिया गया | इन्स्पक्टोर स्वांसों के रिपोर्ट के हिसाब से ७६ कसाइयों से पुछा गया और उनके पिछले ६ महीने के कर्मचारियों को भी जांच में शामिल किया गया | कुछ समकालीन लोगों जैसे क्वीन विक्टोरिया का मानना था की कातिल कोई मवेशी चराने वाला या कसाई था जो लन्दन और मेनलैंड यूरोप के बीच में चलने वाली नावों में से किसी पर काम करता था | वाइटचैपल लन्दन डॉक्स के नज़दीक था और अक्सर ऐसी नावें बृहस्पतिवार या शुक्रवार को आती थीं और शनिवार या इतवार में चली जाती थीं | मवेशी नावों को भी जांचा गया लेकिन क़त्ल की तारीख किसी एक नाव की गतिविधि से मिलती नहीं थी और नावों के बीच में नाविकों की आवाजाही भी मुमकिन नहीं थी |

आपराधिक रूपरेखा

अक्टूबर अंत में रोबर्ट एंडरसन ने पुलिस सर्जन थॉमस बांड से कातिल की शल्य कौशल और ज्ञान के बारे में उनकी राय माँगी | बांड द्वारा वाइटचैपल के कातिल की जो छवी पेश की गयी वह सबसे पहली आपराधिक रूपरखा थी | बांड का आंकलन उसके द्वारा किये गए एक शिकार की जाँच और पहले के ४ कैनोनिकल कत्लों के पोस्ट मोर्टेम रिपोर्ट से बनाया गया था | उसने लिखा :

 

पाँचों क़त्ल बिना किसी शक के एक ही आदमी का काम हैं | पहले चार कत्लों में गर्दन को उलटे से सीधे हाथ की तरफ को काटा गया , आख़िरी के क़त्ल मं ज्यादा ज़ख्म दिए जाने के कारण ये पता कर पाना मुश्किल है की जान लेवा ज़ख्म कहाँ दिया गया लेकिन जहाँ औरत का सर गिरा था वहां पास की दीवार पर खून के छींटे गिरे हुए थे | इन सब परिस्थितियों से में ये मानता हूँ की ये औरतें क़त्ल के वक़्त लेटी हुईं थी और हर मौके पर पहले गले को काटा गया है |

 

बांड इस विचार के खिलाफ थे की कातिल को किसी तरह का शल्य ज्ञान है या फिर वह कोई कसाई या घोडा मारने वाला है | उनकी राइ में कातिल कोई अकेलेपन से त्रस्त आदमी था , जिसको मन में कभी कभार हिंसक और कामुक उन्माद जन्म लेते थे उसके द्वारा की गयी त्रासदी उसकी कामिक्छा का चरित्र दर्शाती है | बांड ने ये भी कहा की ये हिंसक उन्माद मन में बदले की भावना से उत्पन्न हो सकती है या फिर धार्मिक पागलपन भी बीमारी हो सकती पर मेरा ऐसा मानना हे की ये दोनों ही संभावनाएं गलत हैं |

किसी भी शिकार के साथ योन उत्पीरण के कोई सबूत नहीं मिले हैं फिर भी मनोवैज्ञानिकों का मानना है की शिकार को चाकू से काटना और उन्हें अपमानजनक स्थिती में घावों को दर्शाते हुए छोड़ना ये साबित करता है की कातिल इन हमलों से योन सुख हासिल करता था | इस विचार को कई लोगों ने बेबुनियादी मान ख़ारिज कर दिया |

 

विरासत

कत्लों के चरित्र और शिकारों की अवस्था ने ईस्ट एंड के बुरे हालातों की तरफ लोगों का ध्यान आकर्षित किया और इन भीड़, और मलिन बस्तियों की तरफ लोगों का रवैय्या बदल दिया | कत्लों के दो दशकों के बाद इन बस्तियों को नष्ट कर दिया गया , पर कुछ गलियां और इमारतें अभी भी सलामत हैं और रिपर की कहानी पर्यटकों को बताने में मददगार साबित होती हैं | कमर्शियल स्ट्रीट में स्थित टेन बैल्स में एक शिकार का आना जाना रहता था और कई सालों तक वह शहर के टूर का महत्वपूर्ण हिस्सा बना रहा | २०१५ में ईस्ट लन्दन में जैक थे रिपर संघ्रालय की शुरुआत हुई |

कत्लों के एक दम बाद " जैक द रिपर" बच्चों का बोगीमैन बन गया | उसक स्वरुप भयानक और राक्षसीय होने लगे | १९२० और १९३० क दशकों में उसे रोज़ के कपडे पहने एक ऐसे आदमी की तरह दिखाया गया जिसका एक राज़ है और जो अपने मासूम शिकारों पर हमला करता था ; वातावरण और बुराई को रौशनी के बदलाव से दर्शाया गया | १९६० के दशक तक रिपर को हिंसक अभिजात वर्ग के प्रतीक की तरह टोपी पहने और जेंटलमैन की तरह तैयार दिखाया जाने लगा | संस्था दुश्मन बन गयी और रिपर उपरी वर्ग के शोषण का चिन्ह बन गया | रिपर की छवि डरावनी कहानियां जैसे ड्राकुला का क्लोअक और विक्टर फ्रंकेंस्तींस के ऑर्गन हार्वेस्ट से मेल खाने लगी |  रिपर की काल्पनिक दुनिया शर्लक होम्स से लेकर जापानी कामुक और डरावनी कहानियां कई शैलियों के साथ फ्यूज कर सकते हैं।

विरोधाभासों और समकालीन खातों की अविश्वसनीयता के अलावा, जीवित फॉरेंसिक सबूत के अभाव के कारण असली हत्यारे की पहचान करने के प्रयास में बाधा उत्पन्न होती रही | मिली हुई चिट्ठीयों के डीएनए एनालिसिस से कुछ हासिल नहीं हुआ , ये जानकारी कई लोगों के हाथों में पड़ी और इसिलए वह सही नतीजे नहीं दे पायेगी | कई ऐसे दावे हुए की डीएनए सबूत दो अलग अलग संदिग्ध बताते हैं, और दोनों ही की कार्यप्रणाली की आलोचना की गई है |

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