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सुरता राम भजाँ सुख पाओ

सुरता राम भजाँ सुख पावो॥
राम भज्याँ थारा बन्धन कटता। सहज परमपद पावो ॥टेर॥

सत-संगत कर हरि रस पीवो। संशय ताप मिटाओ।
हरिक ध्यान धरो निसिवासर। नामकी रटन लगाओ॥

सुकृत-कर्म करो बिनु स्वारथ। संयम सेवा बढ़ाओ॥
रामकृपाते सतगुरु मिलिया। उनके चरण चित लाओ॥

भजन

संकलित
Chapters
आवो भाई सब मिल बोलो हे पिंजरे की ये मैना हरी नाम सुमर सुखधाम भज ले क्यूँ न राधे कृष्णा दिन नीके बीते जाते हैं राम गुण गायो नहीं लेल्योजी लेल्योजी थे श्रीवृन्दावन-धाम अपार बोलो राम राम राम राम बोल हरि बोल, हरि हरि तेरी पार करैगो नैया सीताराम सीताराम सीताराम रे मन-प्रति-स्वाँस पुकार यही गोविन्द जय-जय गोपाल जय-जय जग असार में सार रसना तेरी बन जैहैं गोविन्द भजता क्यूँ ना रे हरिन भजो रे मन राम-नाम तू राम भजन कर प्राणी सोइ रसना, जो हरि-गुन गावैं चाहता जो परम सुख तूँ राम कहो राम कहो राम जाउँ कहाँ तजि चरन तुम प्यारे! जरा तो मन में हरे राम हरे राम राम सुरता राम भजाँ सुख पाओ मीठी रस से भरी तुम उठो सिया सिंगार करो श्री गणेश वंदना गणपति गणेश आओ रामा भोग लगाओ श्यामा चालो रे सखियाँ चलो गाइए गणपति जग वंदन बीत गये दिन जब से लगन लगी प्रभु तेरी भगवान मेरी नैया शरण में आये हैं सुर की गति मैं हर सांस में हर बोल में प्रभु को बिसार पितु मातु सहायक स्वामी रे मन हरि सुमिरन करि लीजै श्याम आये नैनों में तुम मेरी राखो लाज हरि अंखियाँ हरि दरसन की प्यासी नाच्यो बहुत गोपाल प्रभु तेरो नाम हरि, पतित पावन सुने दीनबन्धु दीनानाथ, मेरी तन हेरिये हे गोविन्द राखो शरन हमें नन्द नन्दन मोल लियो राधा रास बिहारी मोरे मन में आन समाये हे रोम रोम में राम सुमिर राम सुमिर जय राम रमारमनं शमनं सर्व शक्तिमते परमात्मने आराध्य श्रीराम मनवा मेरा कब से प्यासा जागो बंसीवारे ललना दुखियों के दुख दूर करे मुकुन्द माधव गोविन्द आओ आओ यशोदा के लाल कन्हैया कन्हैया तुझे आना पड़ेगा करुणा भरी पुकार सुन प्रबल प्रेम के पाले पड़ कर सुख-वरण प्रभु, नारायण कविता कोश विशेष क्यों है? कविता कोश परिवार Roman सीताराम, सीताराम, सीताराम कहिये सखिन्ह मध्य सिय सोहति कैसे राम करे सो होय रे मनवा हरि भजन बिना सुख शान्ति नहीं परसत पद पावन जय जय गिरिबरराज किसोरी पात भरी सहरी कौशल्या रानी अपने लला को दुलरावे दूलह राम सीय दुलही री पुनि पुनि सीय गोद करि लेहीं रघुवर की सुधि आई गुरु बिन कौन सम्हारे गुरु चरनन में ध्यान लगाऊं गुरु आज्ञा में निश दिन रहिये शुभ दिन प्रथम गणेश मनाओ गणपति बप्पा की जय बोलो राम दो निज चरणों में स्थान राम राम काहे ना बोले अब कृपा करो श्री राम नाथ दुख टारो दाता राम दिये ही जाता भज मन मेरे राम नाम तू राम बिराजो हृदय भवन में रामहि राम बस रामहि राम राम बोलो राम हरि तुम हरो जन की भीर राम बिनु तन को घूँघट का पट खोल रे नारायण जिनके हिरदय में गुरु चरनन मे शीश झुकाले मेरे मन मन्दिर मे राम बिराजे अमृत वाणी रघुबर तुमको मेरी लाज नाम जपन क्यों छोड़ दिया यही वर दो मेरे राम रोम रोम में रमा हुआ है हरि हरि हरि हरि सुमिरन करो नमामि अम्बे दीन वत्सले श्री राधा कृष्णाय नमः राधे राधे आनन्दमयी माँ पाई न केहिं गति नवधा भक्ति राधे रानी की जय प्रात पुनीत काल प्रभु जागे नंद बाबाजी को छैया बधैया बाजे आंगने में बधैया बाजे बंशी बजाके श्यामने बनवारी रे जीने का सहारा तेरा नाम रे बोले बोले रे राम चिरैया रे दरशन दीजो आय प्यारे दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरी अँखियाँ प्यासी रे गौरीनंदन गजानना हे दुःखभंजन गजानना हारिये न हिम्मत बिसारिये न राम हे जगत्राता विश्वविधाता हमको मनकी शक्ति देना जैसे सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को जानकी नाथ सहाय करें ज्योत से ज्योत जगाते चलो मैली चादर ओढ़ के कैसे द्वार तुम्हारे आऊँ मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी में मेरा राम सब दुखियों का सहारा है मेरे मन में हैं राम मेरे तन में है राम नैन हीन को राह दिखा प्रभु नैया पड़ी मंझधार गुरु बिन कैसे लागे पार न मैं धन चाहूँ, न रतन चाहूँ पढ़ो पोथी में राम लिखो तख्ती पे राम पायो जी मैंने राम रतन धन पायो प्रभु हम पे कृपा करना प्रेम मुदित मन से कहो राम राम राम रघुकुल प्रगटे हैं रघुबीर रघुपति राघव राजा राम ठुमक चलत रामचंद्र बाजत पैंजनियां भज मन राम चरण सुखदाई राम झरोखे बैठ के सब का मुजरा लेत राम नाम रस पीजे राम राम राम राम राम राम रट रे राम से बड़ा राम का नाम रंगवाले देर क्या है शंकर शिव शम्भु साधु श्रीरामचन्द्र कृपालु भजु मन तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार तेरे दर को छोड़ के किस दर जाऊं मैं तू ही बन जा मेरा मांझी तुम्ही हो माता पिता तुम्ही हो तुम तजि और कौन पै जाऊं उद्धार करो भगवान वैश्णव जन तो तेने कहिये जे छोटी छोटी गैयाँ, छोटे छोटे ग्वाल वीर हनुमाना अति बलवाना मिलता है सच्चा सुख केवल भगवान तुम्हारे चरणों मे उठ जाग मुसाफिर भोर भई भगवान तुम्हारे मन्दिर में... राधे तू राधे कभी राम बनके कभी श्याम बनके महियारी का भेष बनाया भजो राधे गोविंदा