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शेष बातें

गीताधर्म से संबंध रखने वाली सभी प्रमुख बातों पर जहाँ तक हो सका हमने अब तक प्रकाश डाला और इस तरह गीतार्थ समझने का रास्ता बहुत कुछ साफ कर दिया। अब हमें समाप्त करने के पहले कुछ और भी कह देना है। जो बातें हम अब कहेंगे उनका भी ताल्लुक गीताधर्म से ही है। उनसे भी गीता का आशय समझने में बहुत कुछ सहायता मिलेगी; हालाँकि ये बातें इतनी महत्त्वपूर्ण नहीं हैं जितनी अब तक लिखी गई हैं। बात असल यह है कि केवल आशय समझना ही जरूरी नहीं होता। श्लोकों और पदों के अर्थों को ठीक-ठीक हृदयंगम करना भी आवश्यक होता है। इसके बिना आशय आसानी ने समझ में आ नहीं सकता। कभी-कभी तो शब्दार्थ अच्छी तरह जाने बिना आशय और भाषार्थ कतई समझ में आते ही नहीं। शब्दार्थ के सिवाय भी कुछ बातें होती हैं जिनसे श्लोकार्थ और श्लोक का आशय समझने में आसानी हो जाती है। उन बातों को जाने बिना बड़ी दिक्कत होती है। कभी-कभी तो चीज उलटे समझी जाती है। एकाध ऐसी भी बातें हैं जिनसे और कुछ न भी हो तो आशय की गंभीरता जरूर मालूम पड़ती है। इसलिए उनका जानना भी जरूरी है। यही सब बातें लिख के और अंत में दो-चार शब्दों में गीता-धर्म का उपसंहार करके यह वक्तव्य पूरा करेंगे। इसीलिए इसमें छोटी-मोटी-छुटी-छुटाई बातों का ही समावेश पाया जाएगा।

गीताधर्म और मार्क्सवाद

स्वामी सहजानन्द सरस्वती
Chapters
गीताधर्म कर्म का पचड़ा श्रद्धा का स्थान धर्म व्यक्तिगत वस्तु है धर्म स्वभावसिद्ध है स्वाभाविक क्या है? मार्क्‍सवाद और धर्म द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद और धर्म भौतिक द्वन्द्ववाद धर्म, सरकार और पार्टी दृष्ट और अदृष्ट अर्जुन की मानवीय कमजोरियाँ स्वधर्म और स्वकर्म योग और मार्क्‍सवाद गीता की शेष बातें गीता में ईश्वर ईश्वर हृदयग्राह्य हृदय की शक्ति आस्तिक-नास्तिक का भेद दैव तथा आसुर संपत्ति समाज का कल्याण कर्म और धर्म गीता का साम्यवाद नकाब और नकाबपोश रस का त्याग मस्ती और नशा ज्ञानी और पागल पुराने समाज की झाँकी तब और अब यज्ञचक्र अध्यात्म, अधिभूत, अधिदैव, अधियज्ञ अन्य मतवाद अपना पक्ष कर्मवाद और अवतारवाद ईश्वरवाद कर्मवाद कर्मों के भेद और उनके काम अवतारवाद गुणवाद और अद्वैतवाद परमाणुवाद और आरंभवाद गुणवाद और विकासवाद गुण और प्रधान तीनों गुणों की जरूरत सृष्टि और प्रलय सृष्टि का क्रम अद्वैतवाद स्वप्न और मिथ्यात्ववाद अनिर्वचनीयतावाद प्रातिभासिक सत्ता मायावाद अनादिता का सिद्धांत निर्विकार में विकार गीता, न्याय और परमाणुवाद वेदांत, सांख्य और गीता गीता में मायावाद गीताधर्म और मार्क्सवाद असीम प्रेम का मार्ग प्रेम और अद्वैतवाद ज्ञान और अनन्य भक्ति सर्वत्र हमीं हम और लोकसंग्रह अपर्याप्तं तदस्माकम् जा य ते वर्णसंकर: ब्रह्मसूत्रपदैश्चैव सर्व धर्मान्परित्यज्य शेष बातें उत्तरायण और दक्षिणायन गीता की अध्‍याय-संगति योग और योगशास्त्र सिद्धि और संसिद्धि गीता में पुनरुक्ति गीता की शैली पौराणिक गीतोपदेश ऐतिहासिक गीताधर्म का निष्कर्ष योगमाया समावृत