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पत्री 66

मित्रांसाठी प्रार्थना

विशुद्ध मत्स्वांत सदैव राहो। विचार चित्तांत पवित्र येवो
न पापसंपर्क मना असावा। न लोभलेश प्रभुजी! दिसावा।।

करी सदा सत्कृति तीच व्हावी। अशी मला उत्सुकता असावी
नको मला मत्स्तुतिलालसा ती। घडो जनांचे हित नित्य हाती’
असे प्रभो प्रार्थियले अनंत। विलोकिसी काय मदीय अंत
न चित्त होई विमल प्रशांत। अधी रमे सतत विश्वकांत।।

न ऐकशी हाक मदीय काय। दयार्द्र तू कोमल देवराय
विमार्गगामी मज बाळकाते। न सत्पथी आणिशि काय होते?।।

जरी अध:पात मदीय व्हावा। सदैव पंकांतच हा रुतावा
अशी त्वदिच्छा जरि ती असेल। कसा तरी बाळ वरी चढेल?।।

तुझ्या मतीच्या नच मी विरुद्ध। सहावयास सर्व सदैव सिद्ध
मदर्थ आता न कधी वदेन। बुडेन किंवा प्रभुजी! तरेन।।

मदुद्धृतीचे मज नाहि काही। अता न प्रार्थीन मदर्थ पाही
परी सखे जे मम स्नेहपूर्ण। तदर्थ रात्रंदिन आळवीन।।

जयावरी प्रेम अपार केले। यदर्थ अश्रू नयनांत ठेले
दिले जयाते सगळे मदीय। असे सखे जे मम लोभनीय।।

जयाविना ना मजला विसावा। मनात ज्यांच्याजप म्या करावा
झुरे अहोरात्र यदर्थ जीव। जयावरी जीव जडे मदीय
जयाविणे शून्य उदास वाटे। जयाविणे मानस फार दाटे
जयांवरी जीव मदीय लोल। हिरेच माझे जणु जे अमोल।।

मदीय जे देव धरेवरील। मदीय पूजा मन हे करील
यदीय सौख्य मम सौख्य नांदे। यदीय दु:खे मम जीव फुंदे।।

जयांस आनंद अपार द्यावा। विचार रात्रंदीन हा करावा
यदर्थ हे जीवन अर्पण्याला। कितीकदा हा प्रभु सिद्ध झाला।।

मलाच येवो दुखणे तयांचे। यदर्थ वाटे मज हेच साचे
मला जयांची प्रभुराज सेवा। गमे सुधेचा स्पृहणीय ठेवा।।

प्रसन्नता यत्प्रिदर्शनाने। मनास वाटे न तशी कशाने
बघून ज्या दृष्टि मदीय तप्त। निवे सुखावे मम जीव तप्त।।

बहिश्चर प्राण जणू मदीय। सखे असे जे मम आंतरीय
तया तरी सत्पथि देव ठेवी। अधोगतीला न कधीहि नेई।।

तदुन्नती सतत होत राहो। उदार तच्चित्त पवित्र होवो
कृतार्थ होवोत असोत धन्य। न कोणताही मज काम अन्य।।

अनन्यभावे करितो प्रणाम। प्रभो! करा हा मम पूर्ण काम
मदीय जे मित्र तयां सदैव। करा कृती मागत एकमेव।।

तया दयाळा निज देइ हाता। निवारि आघात बनून माता
तदीय चारित्र्यकळी फुलू दे। तदीय कीर्ति त्रिजगी भरू दे।।

असोत अंतर्बहि रम्यरुप। सखे प्रभो! ठेवि सुखी अमूप
सदा पवित्रा कृती तत्करांनी। घडो न जावोत कधीहि रानी।।

त्वदीय कारुण्यवसंत- वात। सुटो सुहृज्जीवनकाननात
फुलो डुलो, हा मम एक काम। पुरा करावा, रघुवीर राम!।।

पत्री

पांडुरंग सदाशिव साने
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