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पत्री 40

मनी नित्य पापविचारा हसत खेळवीले
कुकर्मात जीवन सारे अहोरात्र नेले
विंचु अंतरंगी डसती शेकडो सदैव
म्हणुन मरण आता हेतू मनी एकमेव।।

पापविस्मृती ना देवा दीवनी पडेल
स्मृतिपिशाच्चगण मानेला सर्वदा धरील
मरुन जाउ दे रे आता दे मला मृतीस
मरण देइ, करितो चरणा साश्रु मी नतीस।।

होय, येति विमलहि माझ्या अंतरी विचार
अल्पकाळ टिकुन परू ते फिरुन जात दूर
जशी वीज लवुनी जाई ध्वांत फिरुन राही
तशी होइ मच्चित्ताची गति सदैव पाही।।

सद्विचार धरण्या जावे तोच जाति दूर
हर्षफुल्ल मद्वदनींचा जाइ गळुन नूर
खिन्नता अपारा पसरे अति निराश वाटे
येति अश्रु नयनी किति हे अंतरंग फाटे।।

त्वत्कृपा न, म्हणुनि न राहे सद्विचार चित्ती
दु:खदैन्यनैराश्याची घेरिते विपत्ती
पदोपदी होणारे हे बघुन मदन्याय
सांग तूच जीवन मग हे मज रुचेल काय।।

असा सरी, देवा!  ऐक प्रार्थना विनम्र
हृदय समुन्नत हे होवो विमल शांत शुभ्र
तुझी मूर्ति मधुरा राहो मनि, घडो विकास
पुरव पुरव, देवा!  माझी एक हीच आस।।

नयन येति भरुनी वदतो तुजसि कळवळोनी
आत जात आहे, आई!  बघ किती जळोनी
नको अंत आता पाहू धाव धाव धाव
सत्पती मला सतत तू हात धरुन लाव।।

अजुन पाप करण्यातचि ना वाटते कृतार्थ
पाप जाहल्यावरि तरि ते नयन आर्द्र होत
अजुन नाश नाही झाला सर्व तोच येई
असे अजुन आशा म्हणुनी शीघ्र येई आई!।।

तुझ्या करी देतो माझी मंद रुग्ण नाडी
असे अजुन धुगधुगि तोची औषधास काढी
रसायना दिव्या देई बाळ हासवावा
निज प्रभो!  करुणामहिमा आज दाखवावा।।

-त्रिचनापल्ली तुरुंग, सप्टेंबर १९३०

जीवननाथ

तृणास देखून हसे कुरंग। मरंदपाने करि गान भृंग
जलांतरंगी करि मीन नाच। तवानुरागी प्रभु मी तसाच।।

दयासुधासिंधु तुम्ही अपार। सुखामृताचे तुम्हि डोह थोर
लहानसा तेथ बनून मीन। विजेपरी चमचम मी करीन।।

मदीय तू जीवननाथ देवा। मला स्वपायांजवळीच ठेवा
तव स्मृति श्वाससमान जीवा। मदीय संजीवन तूच देवा।।

मदीय तू नाथ मदीय कांत। मदीय तू प्राण मदीय स्वांत
मदीय तू सृष्टी मदीय दृष्टी। मदीय तू तुष्टी मदीय पुष्टी।।

जिथे तिथे मी तुजला बघेन। कुदेन नाचेन मुदे उडेन
तुलाच गातील मदीय ओठ। तुझेच ते, ना इतरा वरोत।।

कधी कधी तू लपशी गुलामा। परी तुला मी हुडकीन रामा
तुला लपंडाव रुचे सदैव। गड्या परी तू मम जेवि जीव।।

कधी न जाई बघ दूर आता। तुझ्या वियोगे मज मृत्यु नाथा
प्रिया! तुझे पाय मदीय डोई। बसू असे सतत एक ठायी।।

-नाशिक तुरुंग, डिसेंबर १९३२

पत्री

पांडुरंग सदाशिव साने
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