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परी

        परी
देखो ! दूर क्षितिज में
आसमां से उतर रही है परी  ।....
हाथ में उसके  
खुशियों से भरा पिटारा है ।
इस पिटारे में उसने
खुशियों को करीने से संवारा है ।
उसके पास शक्ति है
दुनिया को देने के लिए ।
उसके पास खाली झोला है
दुनिया के ग़म लेने के लिए ।
देखो दूर क्षितिज में ................
उसकी गुलाबी अधरों  पर
एक मधुर गीत  है ।
उसकी पायल की छम-छम
में मनभावन संगीत है ।
उसकी काली जुल्फे ,
सावन की याद दिलाती है ।
उसकी नीली आँखे ,
दुनिया में प्रेम बरसाती है ।
वो देखो दूर क्षितिज में ...............
परमार्थ के लिए
बढ़ रहा है उसका हर कदम ।
जानता है 'चारण' ये तो
शक्ति का नया है जनम ।
अब खिल जायेगा
हर उदास चेहरा ।
ए धरा अब तो
बदलेगा ही रूप  तेरा
वो देखो दूर क्षितिज में ............
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